चंपारन सत्याग्रह

भारत में गाँधी के अगुआई में पहिला सत्याग्रह, एगो किसान आंदोलन

चंपारन सत्याग्रह 1917 में भइल आ ई महात्मा गाँधी के अगुआई में भइल पहिला सत्याग्रह आंदोलन रहल। ब्रिटिश भारत के इतिहास आ भारत के आजादी के लड़ाई में एकर बहुत महत्व वाला अस्थान हवे। ब्रिटिश उपनिवेशी जमाना में भारतीय उपमहादीप में बिहार के चंपारण जिला में ई किसान आंदोलन भइल। किसान लोग एह आंदोलन में नील के खेती के अनिवार्यता वाला नियम के खिलाफ बिरोध कइल।

Champaran Satyagraha
(Sitting left to right) Rajendra Prasad and Anugrah Narayan Sinha with (standing left to right) local vakils (lawyers) Ramnavmi Prasad and Shambhu Sharan Verma during Mahatma Gandhi's 1917 Champaran movement
Date10 April 1917 ― May, 143434
LocationChamparan district of Bihar, India
Organised byMahatma Gandhi, Brajkishore Prasad, Rajendra Prasad, Anugrah Narayan Sinha Ramnavmi Prasad, Mazhar-ul-Haq and others including J. B. Kripalani & Babu Gaya Prasad Singh.

गाँधी 1915 में जब दक्खिन अफिरका से लवटलें आ उत्तर भारत में किसानन के स्थिति देखलें, जहाँ नील के खेती के रूप में उनहन लोग पर अत्याचार होखत रहल, गाँधी लोगन के झुंड में एकट्ठा क के आंदोलन करे के कुछ तरीका अपनावे के कोसिस कइलें जे ऊ पहिले दक्खिन अफिरका में क चुकल रहलें।

चंपारन सत्याग्रह पहिलका पापुलर सत्याग्रह आंदोलन रहल। चंपारन सत्याग्रह से भारतीय जुवा लोगन के आ आजादी के आंदोलन के नया दिसा मिलल, जे ओह दौर में नरमपंथी लोगन के सरकार में शामिल हो के आपन बात उठावे आ अतिवादी लोगन के हिंसात्मक उपाय के बीचा में झूलत रहल।

कोलोनियल, मने कि उपनिवेसी शासनकाल में बहुत सारा खेतिहर लोगन के अपना जमीन पर नील के खेती करे खातिर मजबूर कइल जाव। नील के इस्तेमाल बिबिध चीज के रंगे खातिर नीला डाई बनावे में होखे। एकरा बाद जर्मन लोग केमिकल डाई के खोज क लिहल जेकरा बाद से नील के डिमांड कम हो गइल आ ई उद्योग में गिरावट देखल गइल; रिजल्ट के रूप में भारत के बिहार के खेतिहर लोगन के बर्बादी भइल। बाद में पहिला बिस्व जुद्ध में बाद जर्मन डाई के उपलब्धता ना होखे पर दुबारा एकर दाम बढ़ल आ बहुत सारा किसानन के एकर खेती करे खातिर दोबारा मजबूर कइल गइल।