आबुगीडा

जवना लिखाई सिस्टम में व्यंजन सभ के संघे स्वरन के मात्रा लगा के लिखल जाला
(आबूगीडा से अनुप्रेषित)

आबुगीडा चाहे आबूगीडा (अंग्रेजी: abugida चाहे alphasyllabary; अल्फ़ासिलेबरी) अइसन लिखाई ब्यवस्था होला जेह में व्यंजन आ स्वर के (मात्रा के रूप में) एकसाथ मिला के लिखल जाला। ई ट्रू-अल्फाबेट वाला सिस्टम से अलग किसिम के होला, जेह में स्वर आ व्यंजन दुनों के खातिर अलगा-अलग चीन्हा (अच्छर भा अल्फाबेट) होलें आ उन्हन के अलग-अलग लिखलो जाला; ई अब्जदो वाला सिस्टम से अलग होला जेह में स्वर के लिखल कौनों खास जरूरी ना होला। उदाहरन खातिर देवनागरी लिखाई में "क्" एक ठो व्यंजन हवे जेह में स्वरन के अलग अलग मात्रा लगा के "क", "का", "कि", "को" नियर लिखल जाला जबकि अंग्रेजी ट्रू-अल्फाबेट वाला सिस्टम हवे जेह में "कि" लिखल जाई त "ki" दू गो अक्षर से लिखल जाई।

Comparison of various abugidas descended from Brahmi script. Meaning: May Śiva protect those who take delight in the language of the gods. (Kalidasa)

आबुगीडा नाँव के इस्तेमाल पीटर टी. डेनियल्स द्वारा 1990 में लिखाई सभ के किसिम बतावे (बर्गीकरण) में कइल गइल।[1] ई वास्तव में इथियोपिया के गी'ज भाषा के शुरुआती चार गो अक्षर (आ, बु, गी, डा) से बनल नाँव हवे; ठीक ओइसहीं जइसे अल्फ़ा आ बीटा नाँव के पहिला दू गो यूनानी अक्षर से "अल्फाबेट" शब्द बनल हवे, या भोजपुरी में पहिला व्यंजन "क" के आधार पर अक्षर सभ के वर्णमाला के "ककहरा" कहल जाला।

देवनागरी, कैथी नियर ब्राह्मी परिवार के सगरी लिखाई सभ आबुगीडे किसिम के हईं।

इहो देखल जाय

संपादन करीं
  1. पीटर टी. डेनियल्स (Oct–Dec 1990), "फंडामेंटल्स ऑफ ग्रामैटोलॉजी" (PDF), जर्नल ऑफ दि अमेरिकन ओरिएंटल सोसाइटी, 119 (4): 727–731, JSTOR 602899, archived from the original (PDF) on 2012-10-12, retrieved 2016-11-18