बनारसी साड़ी एगो बिसेस किसिम के साड़ी हऽ जे शहर बनारस आ आसपास के इलाका में हथकरघा पर बीनल जाले।[1] रेशम (सिल्क) के ऊपर सोना-चानी के तार के कढ़ाई आ जरी, भा रंगीन रेशम के सूत के कढ़ाई के काम वाली ई साड़ी भारत के सभसे बेहतरीन साड़ी सभ में गिनल जाए वाली साड़ी हईं जे औरत लोग बहुत खास मोका पर पहिरे ला। बहुधा ई बियाह के समय दुलहिन के पोशाक होखे ला।

बनारसी साड़ी
भूगोलीय इंडिकेशन (जीआइ)
Banarsi saari
जरी के काम वाली बनारसी साड़ी
बिबरनबनारस आ आसपास के इलाका में हथकरघा पर बीनल जाए वाली रेशम के साड़ी
प्रकारहाथ के बनल सामान (Handicraft)
इलाकाबनारस, उत्तर प्रदेश
देसभारत
हथकरघा प साड़ी बीनत एगो बुनकर।

महीन रेशम के सूत से बनल आ ओहपर कढ़ाई के कारन ई साड़ी भारी होखे लीं। कढ़ाई आ जरी के काम जेतने बेसी होला साड़ी के वजन, बीने में लागे वाला समय आ दाम ओतने बेसी होला।

बनारस शहर के आसपास के इलाका जेह में खुद बनारस जिला के अलावा चंदौली, भदोही, मिर्जापुर, जौनपुरआजमगढ़ जिला के इलाका सामिल बाने ई साड़ी बीने के काम पुराना समय से होखत आ रहल बा। साल 2009 में एह साड़ी सभ के "बनारसी कढ़ाई आ साड़ी" के नाँव से जीआई टैग मिलल जे एक किसिम के बौद्धिक अधिकार हवे कि कौनों खास जगह से जुड़ल चीज के पहिचान आ ओकरे क्वालिटी आ परिसिद्धि ओह जगह के नाँव से पहिचानल जाय आ अउरी कहीं ओकर नकल क के ई चीज ओही नाँव से न बिकाय।[2]

पछिला कुछ समय में बनारसी बुनकर लोग के बहुत संकट के सामना करे के पड़ल आ एह साड़ी सभ के उद्योग पर खतरा पैदा भऽ गइल रहल। एह में मुख्य कारन मशीन द्वारा अइसने मिलत-जुलत साड़ी के बिनाई क के गुजराती ब्यापारी लोग आ चीन के बनल साड़ी के ब्यापारी लोग बजार के अइसन साड़ी से भर दिहलें जे बनारसी के नाँव से बिकायँ।[3]

संदर्भ संपादन करीं

  1. N. N. Mahapatra (2016). Sarees of India. Woodhead Publishing India PVT. Limited. pp. 20–. ISBN 978-93-85059-69-8.
  2. N. N. Mahapatra (2016). Sarees of India. Woodhead Publishing India PVT. Limited. pp. 23–. ISBN 978-93-85059-69-8.
  3. Nirmal Sengupta (29 September 2018). Traditional Knowledge in Modern India: Preservation, Promotion, Ethical Access and Benefit Sharing Mechanisms. Springer. pp. 131–. ISBN 978-81-322-3922-2.

बाहरी कड़ी संपादन करीं