भारत में नेट न्यूट्रैलिटी

अगस्त 2015 तक ले, भारत में नेट न्यूट्रैलिटी के गवर्न करे वाला कौनों किसिम के कानून ना रहल, माने कि सगरी इंटरनेट यूजर लोग के साथ बराबरी के बेहवार करे के होखी आ कौनों प्रयोगकर्ता, सामग्री, साइट, प्लेटफार्म, एप्लीकेशन या कौनों भी किसिम के कम्युनिकेशन खाती दाम वसूली में बिभेद के नीति ना अपनावल जाई।[1] हालाँकि, भारत में कुछ इंटरनेट सेवादाता कंपनी सभ द्वारा पहिलहीं नेट न्यूट्रैलिटी के उलंघन के मामिला देखे के मिलल बा।[2] सरकार एह मामिला के सुल्झावे खाती आम जनता से सुझाव आ कमेन्ट देवे खाती एक पूरा दिन (14 अगस्त) के माईगव (mygov) फोरम के खोलले रहल। एकरे बाद फाइनल निर्णय लिहल जाई।[3] 28 नवंबर 2017 के ट्राई द्वारा कुछ रिकमेन्डेशन भी जारी कइल गइल।[4] आ एकरे बाद भारत अब पूरा देस भर में नेट तटस्थता लागू करे बदे परभावी कानून बानवे से बस एक सीढ़ी पाछे बा।

भारत में नेट न्यूट्रैलिटी तब बिसेस चर्चा में आइल जब दिसंबर 2014 में मोबाइल पर इंटरनेट उपलब्ध करावे वाली कंपनी एयरटेल ई एनाउंस कइलस की ऊ कई गो एप सभ जइसे वाट्स एप, स्काइप वगैरह द्वारा होखे वाली वॉइस काल सभ खाती एक्स्ट्रा दाम वसूली।[5]

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संदर्भ संपादन करीं

  1. The Editorial Board (10 April 2015). "Editorial - Global Threats to Net Neutrality". न्यू यॉर्क टाइम्स. Retrieved 10 April 2015.
  2. "Not just Airtel Zero: Facebook to WhatsApp, everyone has violated Net Neutrality in India". इंडियन एक्सप्रेस. 18 अप्रैल 2015. Retrieved 4 May 2015.
  3. Geek, Wisdom. "24 hours to save net neutrality in India". wisdomgeek. saransh kataria. Archived from the original on 2015-10-25. Retrieved 2017-12-19.
  4. "TRAI releases Recommendations on Net Neutrality". Telecom Regulatory Authority of India (अंग्रेजी में). Retrieved 2017-12-15.
  5. "What Net Neutrality?". एनडीटीवी. 24 दिसंबर 2014. Retrieved 24 December 2014.