मनोरंजन बिबिध प्रकार के आनंद देवे वाला क्रियाकलाप में सामिल होखे के कहल जाला। मनोरंजक क्रियाकलाप (एक्टिविटी) में अपना दर्शक या श्रोता सभ के धियान खींचे आ ओह लोग के आनंदित करे के बिसेसता होल। कई प्रकार के साधन बाड़ें जिनहन से लोग के आनंद मिले ला जइसे कि खेलकूद, संगीत, सिनेमा, साहित्य, पर्यटन वगैरह। मनोरंजन के इतिहास ओतने पुरान बा जेतना मानवता के। मनुष्य आदिम काल से खाली समय या परब-तिहुआर पर बिबिध प्रकार के साधन से आपन मनोरंजन कर रहल बा।

टीवी देख रहल लोग
भारत में सड़क किनारे टीबी पर मैच देख के मनोरंजन करत लोग

कौनों भी किसिम के मनोरंजन के सभसे महत्व वाला चीज बा मजा आइल। हालाँकि, अइसन कामकाज सभ भी हो सके लें जे मनोरंजन के साथे-साथ जानकारी बढ़ावे वाला, या फिर सेहत खाती लाभदायक हो सके लें। अक्सरहा मनोरंजन वाली चीज सभ के अउरी मकसद भी हो सके ला आ अउरी कई किसिम के परभाव भी हो सके ला।

रूप आ साधन

संपादन करीं

पढ़ाई आमतौर प जानकारी हासिल करे के तरीका मानल जाला, हालाँकि मनोरंजन खाती पढ़ल काफी समय से एगो स्थापित तरीका बा, खासतौर प जवना समय में परफार्मेंस आधारित मनोरंजन ले सभका पहुँच ना रहे बिबिध प्रकार के साहित्य पढ़ल मनोरंजन के सभसे चलनसार साधन सभ में से एक रहल। अइसन मानल जाला कि लेखन के मूल मकसद जानकारी दिहल भा तरीका सिखावल होखे ला, इहो स्थापित भइल बा के पढ़ल भी आम जिनगी के बिबिध परेशानी सभ से दिमाग हटावे वाला हो सके ला। पुराना समय में जानकारी आ कथा-कहानी मौखिक रूप से सुनल सुनावल जायँ, हालाँकि एक बेर जब कथा-कहानी आ कबिता वगैरह भरपूर मात्रा में छपल रूप में उपलब्ध भ गइल, मौखिक बिधा कमजोर भ गइल आ पढ़े वाला रूप ढेर मजबूत होखत चल गइल।[1] छापाखाना के आबिस्कार, किताबन के दाम में कमी आ बढ़त साक्षरता वगैरह से पढ़ के मनोरंजन करे खाती ब्यापक बढ़ती भइल। फोंट के मानक रूप सभ के निर्माण आ पढ़ाई के आसान होखे से भी आनंद खाती पढ़े में ब्यापक बढ़ती देखल गइल।[2] यूरोप में, 16वीं सदी ले, मनोरंजन आ आनंद खाती पढ़ल एगो स्थापित चीज बन गइल।

 
कॉमिक बुक पढ़ के आनंदित होखत लोग (1971)

कॉमिक्स आ कार्टून साहित्य के अइसन बिधा बाड़ें जे चित्र आ पाठ दुनों के एकसाथ मिला के बनल रचना होखे लें आ पढ़े वाला के आनंद दे लें।[3] आज के समय में बहुत सारा कॉमिक्स कल्पनालोक के चीज (फैंटेसी) पर आधारित भी होखे लें आ इनाहन के उत्पादन अइसन कंपनी सभ द्वारा कइल जाला जे मनोरंजन उद्योग के हिस्सा बाड़ीं।

 
फिलिम देखे वाला लोग एगो परदा के सोझा कुरसिन पर बइठ के एकर आनंद लेला; नार्वे के एगो सिनेमाघर में परदा आ ओकरे सोझा लागल आरामदायक कुर्सी (2005)

फिलिम सभ मनोरंजन के एगो प्रमुख रूप में गिनल जालीं, हालाँकि सगरी फिलिम सभ के मकसद मनोरंजने भर ना होला: उदाहरण खाती, डाकुमेंटरी फिलिम सभ के मकसद कौनों चीज के रिकार्ड कइल भा जानकारी बाँटल होखे ला,[4] हालाँकि दुनों मकसद एक साथे मिल के काम करे लें। ई माध्यम सुरुआते से बैस्विक स्तर प बिजनेस के रूप लिहले रहल: ल्यूमायर बंधु (दू लोग) पहिला कैमरामैन रहल जे दुनिया भर में भेजल गइल, ई रिकार्ड करे खाती कि जवन कुछ भी आम जनता के रूचि के चीज हो सके ओकरा के फिलिम के जरिये रिकार्ड कइल जाव।[5] साल 1908 में, पाथी (Pathé) द्वारा न्यूजरील (समाचार वाली फिलिम) लांच कइल गइल आ बाँटल गइल[5] आ पहिला बिस्व जुद्ध के दौर आवत-आवत, फिलिम सभ भारी मात्रा में जनता के मनोरंजन के जरूरत पूरा करे लगलीं। "[20वीं] सदी के पहिला दसक के सिनेमा प्रोग्राम सभ में अट्रेंडम रूप से समाचार फिलिम आ काल्पनिक चीजन के मिलजुल रूप मनोरंजन के साधन बनल।"[5] अमेरिकन लोग पहिली बेर "एक के बाद एक आवे वाली फोटो सभ से गतिमान होखे के भरम पैदा करे के तरीका निकालल," बाकी "फ्रांसीसी लोग एह बैज्ञानिक सिद्धांत के बानिज्यिक रूप से आकर्षक दृश्य के रूप में बदले में सफल भइल"।[6] एही कारण फिलिम सभ सुरुआते में मनोरंजन इंडस्ट्री के हिस्सा बन गइली।

  1. Fischer (2003), p. 215.
  2. Fischer (2003), p. 212.
  3. Chapman, James (2011). British comics: a cultural history. London: Reaktion Books. ISBN 978-1-86189-855-5.
  4. Wyver, John (1989). The Moving Image: An International History of Film, Television, and Video. John Wiley & Sons, Limited. ISBN 0-631-16821-4.
  5. 5.0 5.1 5.2 Paris, Michael, ed. (1999). The First World War and popular Cinema. Edinburgh: Edinburgh University Press. ISBN 0-8135-2824-0. p. 9.
  6. Paris (1999), p. 115.