होली: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर
Content deleted Content added
Nkshukla91 (बातचीत | योगदान) No edit summary |
Nkshukla91 (बातचीत | योगदान) No edit summary |
||
लाइन 2:
होली वसंत ऋतु में मनावल जाये वाला एगो महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार ह। इ पर्व हिंदू पंचांग क अनुसार फ़ागुन मास क पूर्णिमा के मनावल जाला । रंग क त्योहार कहल जाये वाला इ पर्व पारंपरिक रूप से दू दिन मनावल जाला। इ प्रमुखता से भारत अउरी नेपाल में मनावल जाला ! इ त्यौहार कई अउरी देश जौना में अल्पसंख्यक हिन्दू लोग रहेलन , उहवो धूम धाम क साथ मनावल जाला! [1] पहिले दिन होलिका जलावल जाला , जवना के होलिका दहन भी कहल जाला। दुसरा दिन , जवना के धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन कहल जाला, लोग एक दुसरा पे रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेकेलन, ढोल बजा के होली के गीत गावल जाला , अउरी घरे-घरे जाके लोगन के रंग लगावल जाला। अइसन मानल जाला कि होली क दिन लोग पुरान कटुता के भुलाके गले मिलेलन अउरी फिर से सँगी बन जालन। एक दूसरा के रंगे अउरी गावै बजावै क दौर दुपहरिया तक चलेला । एकरा बाद नहा के सुस्तइला क बाद नया कपड़ा पहिन के सांझ के लोग एगो दुसरा क घरे मीले जालन, गले मीलेलन अउरी मिठाइ खालन ।
राग-रंग क इ लोकप्रिय पर्व वसंत क सन्देश वाहको भी ह । राग मने संगीत अउरी रंग त एकर प्रमुख अंग हइये ह , लेकिन एकरा के उत्कर्ष तक पहुँचावे वाली प्रकृति भी इ समय रंग बिरंगा यौवन क संगे आपन चरम अवस्था पे होले ।
एही दिन से फाग और धमार |