होली: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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लाइन 3:
 
राग-रंग क इ लोकप्रिय पर्व वसंत क सन्देश वाहको भी ह । राग मने संगीत अउरी रंग त एकर प्रमुख अंग हइये ह , लेकिन एकरा के उत्कर्ष तक पहुँचावे वाली प्रकृति भी इ समय रंग बिरंगा यौवन क संगे आपन चरम अवस्था पे होले । फागुन महीना में मनावल जाये क कारन एके फाल्गुनी भी कहल जाला । होली क त्योहार वसंत पंचमी से ही शुरू हो जाला ।ओही दिने पाहिले बार गुलाल उड़ावल जाला ।
एही दिन से फाग और धमार क गाना शुरू हो जाला। खेत में सरसो खिल उठेले। बाग- बगइचा में फूल क आकर्षक छटा छा जाला । पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं। खेतों में गेहूँ की बालियाँ इठलाने लगती हैं। किसानों का ह्रदय ख़ुशी से नाच उठता है। बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढ़ियाँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं। चारों तरफ़ रंगों की फुहार फूट पड़ती है।[4] होली के दिन आम्र मंजरी तथा चंदन को मिलाकर खाने का बड़ा माहात्म्य है।ह।[5]
"https://bh.wikipedia.org/wiki/होली" से लिहल गइल