सारनाथ: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर
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'''सारनाथ''' ({{lang-en| Sarnath
[[जैन धर्म]] के इग्यारहवाँ तीर्थंकर [[श्रेयांशनाथ]] के भी जनम एही जगह से थोड़ी दूरी पर भइल रहे जे से सारनाथ क महत्व जैन धर्म के माने वालन में भी
[[Image:Sarnath1.jpg|thumb|right|[[धम्मेक स्तूप]], सारनाथ ]]
== नाम ==
'''सारनाथ''' शब्द के उत्पत्ति संस्कृत भाषा की सारंगनाथ से मानल जाला, जेकर अर्थ होला ‘हरिना (हिरन) के राजा’. कहानी ई कहल जाला कि बोधिसत्व जब हिरन की रूप में अवतार लिहलें तब शिकार खेले वाला राजा से एगो गर्भवती हिरनी के जान बचावे की खातिर आपन प्राण निछावर कइ
'''ऋषिपत्तन''' के कहानी ई हवे कि इहाँ भगवान बुद्ध कि जनम से पाहिले ओकर सूचना ५०० ऋषियन के देवे खातिर देवता लोग उतरल रहलें. दूसरी कहानी की हिसाब से ऋषि लोग अपनी हिमालय यात्रा पर आकाश मार्ग से जात घरी उतर के विश्राम कइले रहे जेसे एकर नाँव ऋषिपत्तन
'''मृगदाव''' चाहे '''मृगदाय''' ऐसे कहल जाला कि इहाँ राजा के आदेश की अनुसार मृग के शिकार कइल मना रहे आ मिरगा (हिरन) कुल स्वतंत्र हो के बिना कौनो भय के विचरण क सकत
== इतिहास ==
भगवान बुद्ध करीब ५३३ ई. पू. में इहाँ आपन पहिला उपदेश दिहलें जे के धर्मचक्र प्रवर्तन कहल जाला। एकरी बाद लगभग तीन सौ बारिस क इतिहास मालुम नइखे काहें से कि पुरातात्विक खोदाई में एह समय क कौनो चीज ना मिलल बा। मौर्य काल में [[अशोक]](३०४-२३२ ई.पू.) की समय से सारनाथ के इतिहास की बारे में जानकारी मिलेला। सम्राट अशोक इहाँ स्तंभ लगववलें आ ओपर ब्राह्मी लिपि में आपन आदेश लिखववलें। कनिष्क की समय में इहवाँ बोधिसत्व के मूर्ति लगावल गईल। तीसरी शताब्दी से सारनाथ के असली उत्थान शुरू भईल अउरी कला, संस्कृति आ धर्म की एगो महत्वपूर्ण केन्द्र की रूप में सारनाथ गुप्त काल में(चौथी सदी से छठवीं सदी की बिचा में) अपनी उत्कर्ष पर पहुँचल। ए समय में मथुरा की बाद सारनाथ क कला आ संस्कृति की क्षेत्र में दूसरा अस्थान रहे। चीनी यात्री [[ह्वेन सांग]] सतवी सदी में महाराज [[हर्षवर्द्धन| हर्ष]] की राज में इहाँ के यात्रा कइलन।
[[Image:Five disciples at Sarnath.jpg|thumb|center|550px|[[धर्मचक्र प्रवर्तन | धर्मचक्र]] की आगे विनय पूर्वक बइठल [[भगवान बुद्ध]]के पहिला पांच शिष्य]]
== पुरातात्विक खुदाई ==
सारनाथ क महत्व पहिली बार तब पता चलल जब काशीनरेश महाराज चेतसिंह क दीवान जगत सिंह अनजाने में धर्मराजिका स्तूप के खोदवा दिहलन आ एकरी ईंटा से जगतगंज मुहल्ला बनवा दिहलन। तब कर्नल कैकेंजी १८१५ ई. में एह अस्थान पर पहिली बेर खोदाई करववलन लेकिन उनके कुछ बहुत सफलता ना मिलल। बाद में जनरल [[कनिंघम]] की अगुआई में (१८३५-३६ ई.) एकर नीमन से खोदाई भइल आ [[धम्मेक स्तूप]] आ [[चौखंडी स्तूप]] आ औरी महत्वपूर्ण चीज मिलल। १८५१-५२ ई. में मेजर किटोई खोदाई करववलन जेवना के रपट छपल ना लेकिन खोदाई में मिलल चीज कुल कलकत्ता संग्रहालय में रक्खल बा।
एह क्षेत्र के बैग्यानिक ढंग से खोदाई एच.बी. ओरटल की अगुआई में शुरू भईल जेवना के हरग्रीव आगे बढ़ावलन आ आखिरी पांच साल के खोदाई श्री दया राम साहनी जी की अगुआई में भइल। एही दौरान १९०४ ई. में संग्रहालय के अस्थापना भईल आ १९१० ई. में एकर बिल्डिंग बन के तैयार भईल जहाँ एह खोदाई के मिलल सामन रक्खल बा।
== देखे लायक ==
*[[धम्मेक स्तूप]]
*[[अशोक स्तंभ]] अउरी [[अशोक चिह्न]]
*[[सारनाथ संग्रहालय]]
*[[धर्मराजिका स्तूप]]
*[[मूलगंध कुटी विहार]]मंदिर
*[[चौखंडी स्तूप]]
== फोटो गैलरी ==
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Image:SarnathEntrance.jpg|प्रवेश द्वार से सारनाथ में पुरातात्विक खोदाई के दृश्य
Image:Dharmarajika_Stupa.JPG|धर्मराजिका स्तूप
File:Ashoka Pillar, Sarnath.jpg|अशोक स्तंभ के मूलभाग (निचला हिस्सा) जेवना की ऊपर सिंह शीर्ष स्थापित रहे
Image:Aramaic Inscriptures in Sarnath.jpg|
File:Buddha from Mulgandha Kuti Vihar.jpg|मूलगंध कुटी में भगवान बुद्ध क मूरत
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[[category:उत्तर प्रदेश पर्यटन]]
[[category:बनारस]]
[[category:बौद्ध तीर्थ अस्थान]]
[[category:बौद्ध धर्म]]
[[category:जैन धर्म]]
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