सिवान जिला: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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सिवान ८ वीं शताब्दी में [[बनारस राजतंत्र]] के हिस्सा रहल। [[मुस्लिम]] अहिजा १३ वीं शताब्दी में अईले। [[सिकंदर लोदी]] १५ वीं शताब्दी में आपन अधिन कईले। [[बाबर]] जब यात्रा से लौटत रहले तब सिसवां के नजदीक [[घाघरा नदी]] पार कईले। १७ वीं शताब्दी के अंत में [[डच]] अहिजा [[अंग्रेज]] के पीछा करत करत आईल रहले जा। १७६५ के [[बक्सर युद्ध]] के बाद इ क्षेत्र [[बंगाल]] के एगो हिस्सा बन के रह गईल। १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम में सिवान एक अहम भूमिका निभईले रहल। इ दिग्गज आ मजबुत '''भोज-पूरीयन''' खातिर भी प्रसिद्ध बा, जे हमेशा आपन मार्शल भावना आ शारीरक सहन शक्ति खातिर उल्लेखिल कईल जात रहले जा आ जहाँ से सेना आ पुलिस कर्मी लोग बड़ी मात्रा में ट्रेनिंग लेके भर्ती होत रहले जा। जे में से अच्छा संख्या में लोग बागी भईले आ बाबु कुंवर सिंह के सेवा में समर्पित हो गईले। श्री ब्रज किशोर प्रसाद जे सिवान के रहलन १९२० में गैर सहकारी आन्दोलन के प्रतिक्रिया में बिहार में पर्दा विरोधी संग्राम चालू कइले रहलन।<ref name="autogenerated1"/>
 
=== ऐतिहासिक अस्थानस्थान ===
 
'''कोरारा'''
मैरवा ब्लॉक के एक गावँ, जौन मैरवा धाम से २ किमी दक्षिण में स्थित बा। इहाँ सिवान के प्रथम साईं मंदिर बा जौन भगवान शिव आ माता दुर्गा के सटले बा। अहिजा हर साल अगस्त में वार्षिकोत्सव मनावल जायेला।
 
'''दोन'''
[[दरौली]] ब्लॉक में एगो गाँव बा, जहाँ एगो किला के अवशेष बचल बा, कहल जयेला की इ का सम्बन्ध महाभारत के प्रसिद्ध पात्र आचार्य द्रोणाचार्य से बा जे कौरव आ पांडव दुनो के गुरु रहनी। दोन के स्तूप तनिक कम प्रसिद्ध बा लेकिन बुद्ध धर्मावलम्बियन खातिर महत्वपूर्ण तीर्थ बा। बुद्ध धर्मावलम्बी ह्यून त्सांग एक पुस्तक में उल्लेख करते हुए लिखले बानी की जब उहाँ के भारत यात्रा पर आईल रहनी त दोन में भी पधारले रहनी। वर्तमान में दोन में एगो छोट हरियाली युक्त पहाड़ बा, जेकरा ऊपर एगो हिन्दू मंदिर बा, जहाँ देवी तारा के एगो सुन्दर मूर्ति स्थापित बा, जिनके हिन्दू देवी के रूप में पूजा कईल जयेला। इ मूर्ति के ९ वीं शताब्दी में ढालल गईल रहल।
 
'''महाराजगंज'''
 
जौन अब इ ब्लॉक के मुख्यालय ह, बस्नौली गंगर के नाम से भी जानल जयेला। इ जिला के सबसे बड़ बाजार के रूप में बा। इहे उ जगह ह जहाँ से स्वतंत्रता सेनानी श्री फुलेना प्रसाद भारतीय स्वतंत्रता खातिर लड़ले रहनी, एही भूमि पर उहाँ के आपन रणनीति तैयार कर के अंग्रेजन के साथ लड़ल रहनी।
 
'''महेन्द्रनाथ'''
सिसवां ब्लॉक में एगो गाँव बा जौन महेन्द्रनाथ या मेंहदार नाम से जानल जयेला। अहिजा भगवान शिव आ विश्वकर्मा जी के मंदिर स्थित बा जहाँ बड़ी संख्या में भक्तजन लोग शिवरात्रि आ विश्वकर्मा दिवस के दिन दर्शन खातिर जायेला। इ आपन मंदिर खातिर प्रसिद्ध बा जहाँ ५२ बीघा में एगो पोखर बा। कहल जायेला की नेपाल के राजा महेंद्र के कोढ़ फूटल रहे आ उ आपन एगो यात्रा के दौरान अहिजा से गुजरत रहलन। यात्रा के दौरान उ अहिजा एगो छोट गड्ढा में थोडा सा कीचड़युक्त पानी छुवले आ उनकर कोढ़ खत्म हो गईल जे से खुश होके उ अहिजा शिव के मंदिर बनवइले आ उ छोट गड्ढा के बहुत बड़ पोखर में परिवर्तन करवइले। एही से इ जगह के महेन्द्रनाथ कहाय लागल। गाँव के लोग इ के मेहदार कहे लागल।
 
''भीखाबांध'''
 
A village in [[Maharajganj, Siwan|Maharajganj]] Block, there is a big tree under the shade of which Bhaiya-Bahini temple is situated. The story runs that these brother and sister fought Mughal sepoys in the 14th century and died here in course of fighting.<ref>http://siwan.bih.nic.in/HistoricalPlaces1.htm</ref>
 
'''सोहागरा'''
 
A place in the Guthani block, there is a famous temple of Lord Shiva (Hansnath baba), 40&nbsp;km from the district headquarters (Siwan) just at the border of district Deoria of Uttar Pradesh.<ref>http://www.youtube.com/watch?v=t5aCmnNg_WE</ref>
 
==संदर्भ==