होली: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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[[चित्र:Holi2.jpg|thumb|राधा कृष्ण क होली क चित्र में प्रदर्शन]]
होली [[वसंत ऋतु]] में मनावल जाये वाला एगो महत्वपूर्ण भारतीय [[त्योहार]] ह। इ पर्व हिंदू पंचांग क अनुसार [[फागुन]] मास क [[पूर्णिमा]] के मनावल जाला ।
 
रंग क त्योहार कहल जाये वाला इ पर्व पारंपरिक रूप से दू दिन मनावल जाला। इ प्रमुखता से [[भारत]] अउरी [[नेपाल]] में मनावल जाला ! इ त्यौहार कई अउरी देश जौना में अल्पसंख्यक हिन्दू लोग रहेलन , उहवो धूम धाम क साथ मनावल जाला! पहिले दिन [[होलिका]] जलावल जाला, जवना के होलिका दहन भी कहल जाला। दुसरा दिन , जवना के धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन कहल जाला, लोग एक दुसरा पे रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेकेलन, ढोल बजा के होली के गीत गावल जाला, अउरी घरे-घरे जाके लोगन के रंग लगावल जाला।
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राग-रंग क इ लोकप्रिय पर्व वसंत क सन्देश वाहको भी ह। राग मने संगीत अउरी रंग त एकर प्रमुख अंग हइये ह, लेकिन एकरा के उत्कर्ष तक पहुँचावे वाली प्रकृति भी इ समय रंग बिरंगा यौवन क संगे आपन चरम अवस्था पे होले। फागुन महीना में मनावल जाये क कारन एके फाल्गुनी भी कहल जाला ।
 
होली क त्योहार [[वसंत पंचमी]] से ही शुरू हो जाला ।ओही दिने पाहिले बार गुलाल उड़ावल जाला। एही दिन से [[फाग]] और [[धमार]] क गाना शुरू हो जाला। खेत में सरसो खिल उठेले। बाग- बगइचा में फूल क आकर्षक छटा छा जाला । पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं। खेतों में गेहूँ की बालियाँ इठलाने लगती हैं। किसानों का ह्रदय ख़ुशी से नाच उठता है। बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढ़ियाँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं। चारों तरफ़ रंगों की फुहार फूट पड़ती है। होली के दिन आम्र मंजरी तथा चंदन को मिलाकर खाने का बड़ा माहात्म्य ह।
 
{{आधार}}
[[श्रेणी:हिन्दू धर्म]]
[[श्रेणी:तिहुआर]]
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