होली: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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<ref>कबीर भाई-शिष्य उनकी कविता में रैदास, ''प्रह्लाद चरित'', अपने बेटे के रूप में मुल्तान और प्रहलाद के राजा के रूप में हिरण्यकश्यप को संदर्भित करता है; डेविड लोरेंज़ेन, (१९९६), सनी प्रेस , प.१८, [https://books.google.co.uk/books?id=tE3sShuid5gC&pg=PA18&dq=multan+prahlad&hl=en&sa=X&ei=9pH8VJu8A-WE7ga4sICgAQ&ved=0CCAQ6AEwAA#v=onepage&q=multan%20prahlad&f=एक निराकार परमेश्वर को झूठी प्रशंसा: उत्तर भारत से निर्गुणी ग्रंथों]</ref> के एगो वरदान मिलल रहे जवने की वजह से उ लगभग अविनाशी हो गईल रहे और एसे उ आगे चलके अहंकारी हो गईल और खुदके भगवान माने लागल, और फेर सबके आदेश जारी क दिहलस की सभे खाली ओहि क पूजा करे।
 
लेकिन ओकर आपन लईका प्रह्लाद<ref>[http://www.holi2014wall.in/prahlad-and-holika-katha-kahani-in-hindi-and-english/ प्रह्लाद एंड होलीका कथा (कहानी) इन हिंदी]</ref> ओकरी ए बात से सहमत नाहीं रह न। उ पहिलहीं से भगवान विष्णु के मानें और हिरण्यकश्यप की आदेश की बादो भगवान विष्णुए क पूजा कईलकइल जारी रख न। ए वजह से हिरण्यकश्यप प्रह्लाद के कई बेर क्रूर सजा दिहलस लेकिन एको बेर प्रह्लाद के न कौनों नुकसान पहुँचल और न ही उनकी सोच पर कौनों फर्क पड़ल। आखिर में होलिका प्रह्लाद के बहला - फुसला के चिता में साथ ले के बैठल। होलिका एगो चोगा पहिनले रहे जवन ओकर आग से रक्षा करे, लेकिन चिता में जैसे आग लागल उ चोगा होलिका की देहीं से उड़ के प्रह्लाद के ढक लिहलस जेसे प्रह्लाद त आगी से बच गईन लेकिन होलिका जर गईल। एसे बौखलाइल हिरण्यकश्यप अपनी गदा से एगो खंभा पर प्रहार कईलसकइलस, खंभा फूटल और ओमें से भगवान विष्णु नरसिंह अवतार लेके प्रकट भई न और हिरण्यकश्यप क खात्मा कई न। ए तरह से इ होलिकादहन बुराई पर अच्छाई क संकेत देला। होलिकादहन की अगिला दिनें जब राखी ठंडा हो जाला तब कई अदमी इ राखी ओही समय से परम्परागत तौर से अपनी माथा प लगावेला। लेकिन इ परम्परा में समय बितले की साथ राखी की साथ रंग जुड़ गईल।
 
==मनावे के तरीका==
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होली हिन्दू लोगन की आलावा कई और भारतीय और [[दक्षिण एशिया]] की लोगन की खातिर एगो महत्वपूर्ण त्योहार ह। इ शीत ऋतु की अंत में फाल्गुन पूर्णिमा की दिनें मनावल जाला, जवन की आमतौर प मार्च महिना में और कई बेर फरवरी की आखिर में पड़ेला।
 
इ त्योहार मनवले क कई गो वजह बा; खासतौर से, इ वसंत ऋतु की शुरुआत में मनावल जाला। 17वीं सदी की साहित्य में होली के खेती क और उपजाऊ जमीन की महोत्सव की तौर प चिन्हित कईलकइल गईल बा।
 
==संदर्भ==
"https://bh.wikipedia.org/wiki/होली" से लिहल गइल