फगुआ: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

एक तरह के भोजपुरी लोकगीत
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(कौनों अंतर नइखे)

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फगुआ भोजपुरी इलाका में फागुन के महीना में गावल जाये वाला लोकगीत हवे। जाड़ा के बाद बसंत के आगमन के' उछाह आ होली मनावे के तय्यारी फगुआ के गीतन से पता चले ला। बसंत पंचिमी के सम्मत गड़ा जाला आ एही दिन से फगुआ गवाये लागे ला जे लगभग चालीस दिन चले ला, होली के दिन ले।

कुछ अन्य क्षेत्रन में एकरा के फाग भी कहल जाला। होरीरसिया गीत भी एही से मिलत जुलत भावना के गीत होलें।

एक ठो खास अर्थ में, झुंड में फगुआ गावत समय अगर केहू कौनों भुलाइल फगुआ के गीत इयाद क के कढ़ा देला त ओकर फगुआ साथी लोग पर चढ़ गइल अइसन कहल जाला, एह तरह के उधारी के दूसर अइसने फगुआ सुना के उतारल जाला, जेकरा के फगुआ दिहल कहल जाला।[1]

फगुआ के गीत अक्सर शृंगार रस के या भक्ति के गीत होलें जेह में राधा-कृष्ण, राम-सीता या शिव पार्वती के बर्णन होला।[2][3]फागुन में फगुआ मनावे के उल्लेख साहित्य में भी कई जगह मिले ला।[4]

संदर्भ

  1. Vidyāvindu Siṃha (2003). Sāla bhara parva. Vāṇī Prakāśana. pp. 105–. ISBN 978-81-7055-187-4.
  2. Kirana Marālī (1984). Avadhī aura Bhojapurī lokagītoṃ meṃ Rāmakathā. Bhāratī Bhaṇḍāra.
  3. Kumārī Vāsantī (1993). Nāgapurī gītoṃ kī chanda-racanā: eka sāṃskr̥tika adhyayana. Kiśora Vidyā Niketana.
  4. Rameśacandra Miśra; Tulasīdāsa (1969). Gītāvalī-vimarśa: Tulasī kī kāvyakr̥ti Gītāvalī kī sarvāṅgapūrṇa samīkshā. Navanīta Prakāśana.

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