अंकोर वाट: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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| date_built = १२वीं12वीं सदी
| creator = सुरुआत कइलें [[सूर्यवर्मन II]], पूरा कइलें [[जयवर्मन VII]]
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| designation1_date = १९९२1992{{small|(१६वाँ16वाँ [[बिस्व धरोहर कमेटी|सेशन]])}}
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| designation1_free1value = ''[[:en:List of World Heritage Sites in Asia|एशिया आ प्रशांत क्षेत्र]]''
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}}
'''अंकोरवाट''' <small>({{Lang-en|[[:en:Angkor Wat|Angkor Wat]]}}; {{lang-km|អង្គរវត្ត}})</small> [[कंबोडिया]] में मौजूद एगो मंदिर बाटे आ ई दुनिया के सबसे बड़हन धार्मिक स्थल हवे जवन १६२162.6 हेक्टेयर (1,६२६626,०००000 वर्गमीटर) क्षेत्रफल में बिस्तार लिहले बा।<ref name="Guiness">{{cite web|title=Largest religious structure|work=Guiness World Record|url=http://www.guinnessworldrecords.com/world-records/largest-religious-structure/}}</ref> ई मूल रूप से [[हिंदू]] मंदिर के रूप में बनल रहे जवन धीरे-धीरे बौद्ध मंदिर में बदलत चलि गइल।<ref name="cyark">{{cite web|url=http://www.cyark.org/news/recycling-monuments-the-hinduismbuddhism-switch-at-angkor|title=Recycling Monuments: The Hinduism/Buddhism Switch at Angkor|author=Ashley M. Richter|date=सितंबर 8, 2009|publisher=[[CyArk]]|accessdate=6 जनवरी 2016}}</ref> ई ख्मेर राजा ''सूर्यवर्मन दूसरा'' के द्वारा १२वीं12वीं सदी के शुरुआत में<ref name=Higham1>{{cite book |author=Higham, C. |year= 2014 |title= Early Mainland Southeast Asia |city= Bangkok |publisher= River Books Co., Ltd. |isbn= 978-616-7339-44-3 |pages=372, 378–379}}</ref>, तत्कालीन राजधानी यशोधरपुर, जवना के अब अंकोरथोम कहल जाला, में बनवावल गइल रहे। अपने पहिले के शैव राजा लोग के परमपरा से अलग हटि सूर्यवर्मन के बनवावल के ई मंदिर [[विष्णु]] के समर्पित बाटे।
ई ख्मेर शैली के सभसे नीक उदाहरण हवे आ कंबोडिया के चीन्हा के रूप में पहिचानल जाला<ref>{{cite web|title=Government ::Cambodia|url=https://www.cia.gov/library/publications/the-world-factbook/geos/cb.html|work=CIA World Factbook}}</ref> आ उहाँ के झंडा पर भी देखावल गइल बाटे। ई कंबोडिया के सभसे प्रमुख पर्यटन आकर्षण भी बा।
 
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==इतिहास==
[[File:Angkorwat(rear).JPG|thumb|260px|left|मंदिर के सामने से लिहल तस्वीर]]
अंकोर वाट आधुनिक [[सीम रीप]] नाँव के कस्बा से 5.5 किलोमीटर के दूरी पर उत्तर ओर बाटे आ पुरनकी राजधानी, जवन बाफुनो के लगे रहे, के थोड़िके दूर दक्खिन ओर पुरुबाहुत हटि के बाटे।
अंकोर के मंदिरन में ई सभसे दक्खिन में बाटे।
 
कथा के मोताबिक एह मंदिर के निर्माण के आदेस इंद्र दिहले रहलें। तेरहवीं सदी के एगो चीनी यात्री इहो वर्णन कइलें बा की ई मंदिर, मानल जाला की, कौनों दिब्य आर्किटेक्ट एकही राति में बना दिहलें।
 
इतिहास के हिसाब से देखल जाय त ई मंदिर के सुरुआती डिजाइन बारहवीं सदी के सुरु के हिस्सा में, सूर्यवर्मन दूसरा (शासन १११३1113 – ल ११५०1150 ई) बनावल गइल रहे। ई बिष्णु के समर्पित मंदिर रहे आ ई राजा के मंदिर आ एकरे आसपास के इलाका राजधानी बनावे के बिचार से डिजाइन कइल गइल रहे।
एकर मूल नाँव मालुम नइखे की का रखल गइल रहे। राजा के मरला के बाद एह मंदिर के कुछ काम अधूरा रहि गइल। सूर्यवर्मन के मौत के लगभग २७27 बरिस बाद इहाँ चाम लोग, जे ख्मेर लोग के परंपरागत दुश्मन रहे, के आक्रमण भइल आ अंकोर के लूट लिहल गइल।
बाद में एकरा के जयवर्मन सातवाँ, जे इहाँ से थोड़ी दूर उत्तर में (अंकोर थोम आ बाद में बायन में) आपन राजधानी बनवलें, एह मंदिर के उद्धार कइलें। बारहवी सदी के अंत आवत-आवत ई मंदिर बौद्ध परभाव में आवत चलि गइल जवन अभिन ले जारी बाटे।