पृथ्वी के अंदरूनी बनावट: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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|style="text-align:left;"| स्थलमण्डल (स्थानिक रूप से 5 और २००200 किमी की बीच परिवर्तनशील)
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|style="text-align:left;"| … भूपर्पटी (परिवर्तनशील 5 से ७०70 किमी की बीच)
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===भूपर्पटी===
भूपर्पटी पृथ्वी क सबसे ऊपरी परत हवे जेवना क औसत गहराई २४24 किमी तक ह आ ई गहराई 5 किमी से ७०70 किमी के बीच अलग-अलग जगह पर अलग-अलग मिलेला। [[समुद्र|समुद्रन]] की नीचे ई कम मोट समुद्री बेसाल्टिक भूपर्पटी के रूप में मिलेला त [[महादीप|महाद्वीपन]] की नीचे एकर बिस्तार ढेर गहराई ले पावल । सर्वाधिक गहराई [[पहाड़|पर्वतों]] के नीचे पावल जाला।
भूपर्पटी को भी तीन परतों में बाँटा जाता है - अवसादी परत, ग्रेनाइटिक परत और बेसाल्टिक परत। ग्रेनाइटिक और बेसाल्टिक परत के मध्य [[कोनार्ड असातत्य]] पावल जाला। ध्यातव्य है कि समुद्री भूपर्पटी केवल [[बेसाल्ट]] और [[गैब्रो]] जैसी चट्टानों की बनी होती है जबकि [[अवसादी चट्टानें|अवसादी]] और [[ग्रेनाइट|ग्रेनाइटिक]] परतें महाद्वीपीय भागों में पावल जाला।
 
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===मैंटल===
[[File:Mohomap.png|thumb|350px|विश्व मानचित्र पर [[मोहोरोविकिक असातत्य|मोहो]] की गहराई]]
मैंटल का विस्तार [[मोहोरोविकिक असातत्य|मोहो]] से लेकर २८९०2890 किमी की गहराई पर स्थित [[गुट्टेन्बर्ग असातत्य]] तक बाटे। मैंटल के इस निचली सीमा पर दाब ~140 GPa पावल जाला। मैंटल में संवहनीय धारा चले लीं जिनकी कारण स्थलमण्डल की [[प्लेट विवर्तनिकी|प्लेटों]] में गति होला। मैंटल के दू भाग में बाँटल जाला ऊपरी मैंटल और निचला मैंटल और इनकी बीच की सीमा ७१०710 किमी पर [[रेपिटी असातत्य]] की नाँव से जानल जाला।
मैंटल का गाढ़ापन 10<sup>21</sup> से 10<sup>24</sup> [[pascal second|Pa·s]] के बीच पाया जाता है जो गहराई पर निर्भर करता है।
<ref>Uwe Walzer, Roland Hendel, John Baumgardner [http://web.archive.org/web/20060826020002/http://www.chemie.uni-jena.de/geowiss/geodyn/poster2.html Mantle Viscosity and the Thickness of the Convective Downwellings]</ref>
तुलना के लिये ध्यातव्य है कि पानी का गाढ़ापन 10<sup>−3</sup> [[pascal second|Pa·s]] और कोलतार ([[en-wiki:Pitch drop experiment|pitch]]) 10<sup>7</sup> Pa·s होला।
===क्रोड===
क्रोड का विस्तार मैंटल की नीचे है आर्थात २८९०2890 किमी से लेकर पृथ्वी की केन्द्र तक। किन्तु यह भी दो परतों में विभक्त है - बाह्य कोर और आतंरिक कोर। बाह्य कोर तरल अवस्था में पाया जाला क्योंकि यह द्वितीयक भूकंपीय तरंगों (एस-तरंगों) को सोख लेता है। आतंरिक क्रोड की खोज १९३६1936 में के. ई. बूलेन ने की थी। यह ठोस अवस्था में माना जाला। इन दोनों की बीच की सीमा को [[बूलेन-लेहमैन असातत्य]] कहल जाला।
 
आतंरिक क्रोड मुख्यतः लोहे का बना है जिसमें निकल की भी कुछ मात्रा है। चूँकि बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और इसमें रेडियोधर्मी पदार्थो और विद्युत आवेशित कणों की कुछ मात्रा पावल जाला, जब इसके पदार्थ धारा के रूप में आतंरिक ठोस क्रोड का चक्कर लगते हैं तो चुंबकीय क्षेत्र बन जाला। पृथ्वी के चुम्बकत्व या [[भूचुम्बकत्व]] की यह व्याख्या [[डाइनेमो सिद्धांत]] कहल जाला।