सारनाथ: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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'''सारनाथ''' शब्द के उत्पत्ति संस्कृत भाषा की सारंगनाथ से मानल जाला, जेकर अर्थ होला ‘हरिना (हिरन) के राजा’। कहानी ई कहल जाला कि बोधिसत्व जब हिरन की रूप में अवतार लिहलें तब शिकार खेले वाला राजा से एगो गर्भवती हिरनी के जान बचावे की खातिर आपन प्राण निछावर कइ दिहलन। राजा ए बात से प्रभावित हो के हरिना कुल के शिकार कइल छोड़ दिहलें आ एही अस्थान पर हरिना कुल खातिर एगो अभयारण्य बनवा दिहलन जहाँ केहू हरिना के शिकार न करे। आज एकरी प्रतीक की रूप में हिरन पार्क इहाँ बंवावल गइल बा। सारंगनाथ की नाम की साथ आजकाल इहाँ एगो शिव मंदिर भी बा जेवना आधार पर कुछ लोग ई कहेला कि ई जगह प्राचीन काल से शिव की पूजा क आस्थान रहे आ इहाँ पहिले भी सारंगनाथ शिव के पूजा होखे। हालाँकि ई बाति उल्टो हो सकेला कि शिव के पूजा बाद में ए बौद्ध अस्थान पर शुरू भइल होखे।
 
'''ऋषिपत्तन''' के कहानी ई हवे कि इहाँ भगवान बुद्ध कि जनम से पाहिले ओकर सूचना ५००500 ऋषियन के देवे खातिर देवता लोग उतरल रहलें। दूसरी कहानी की हिसाब से ऋषि लोग अपनी हिमालय यात्रा पर आकाश मार्ग से जात घरी उतर के विश्राम कइले रहे जेसे एकर नाँव ऋषिपत्तन पड़ल।
 
'''मृगदाव''' चाहे '''मृगदाय''' ऐसे कहल जाला कि इहाँ राजा के आदेश की अनुसार मृग के शिकार कइल मना रहे आ मिरगा (हिरन) कुल स्वतंत्र हो के बिना कौनो भय के विचरण क सकत रहलें।
 
== इतिहास ==
भगवान बुद्ध करीब ५३३533 ई. पू. में इहाँ आपन पहिला उपदेश दिहलें जे के धर्मचक्र प्रवर्तन कहल जाला। एकरी बाद लगभग तीन सौ बारिस क इतिहास मालुम नइखे काहें से कि पुरातात्विक खोदाई में ए समय क कौनो चीज ना मिलल बा। मौर्य काल में [[अशोक]](३०४304-२३२232 ई.पू.) की समय से सारनाथ के इतिहास की बारे में जानकारी मिलेला। सम्राट अशोक इहाँ स्तंभ लगववलें आ ओपर ब्राह्मी लिपि में आपन आदेश लिखववलें। कनिष्क की समय में इहवाँ बोधिसत्व के मूर्ति लगावल गईल। तीसरी शताब्दी से सारनाथ के असली उत्थान शुरू भइल अउरी कला, संस्कृति आ धर्म की एगो महत्वपूर्ण केन्द्र की रूप में सारनाथ गुप्त काल में(चौथी सदी से छठवीं सदी की बिचा में) अपनी उत्कर्ष पर पहुँचल। ए समय में मथुरा की बाद सारनाथ क कला आ संस्कृति की क्षेत्र में दूसरा अस्थान रहे। चीनी यात्री [[ह्वेन सांग]] सतवी सदी में महाराज [[हर्षवर्द्धन|हर्ष]] की राज में इहाँ के यात्रा कइलन।
[[Image:Five disciples at Sarnath.jpg|thumb|center|550px|[[धर्मचक्र प्रवर्तन|धर्मचक्र]] की आगे विनय पूर्वक बइठल [[भगवान बुद्ध]]के पहिला पांच शिष्य]]
== पुरातात्विक खुदाई ==
सारनाथ क महत्व पहिली बार तब पता चलल जब काशीनरेश महाराज चेतसिंह क दीवान जगत सिंह अनजाने में धर्मराजिका स्तूप के खोदवा दिहलन आ एकरी ईंटा से जगतगंज मुहल्ला बनवा दिहलन। तब कर्नल कैकेंजी १८१५1815 ई. में एह अस्थान पर पहिली बेर खोदाई करववलन लेकिन उनके कुछ बहुत सफलता ना मिलल। बाद में जनरल [[कनिंघम]] की अगुआई में (१८३५1835-३६36 ई.) एकर नीमन से खोदाई भइल आ [[धम्मेक स्तूप]] आ [[चौखंडी स्तूप]] आ औरी महत्वपूर्ण चीज मिलल। १८५१1851-५२52 ई. में मेजर किटोई खोदाई करववलन जेवना के रपट छपल ना लेकिन खोदाई में मिलल चीज कुल कलकत्ता संग्रहालय में रक्खल बा।
 
एह क्षेत्र के बैग्यानिक ढंग से खोदाई एच.बी. ओरटल की अगुआई में शुरू भइल जेवना के हरग्रीव आगे बढ़ावलन आ आखिरी पांच साल के खोदाई श्री दया राम साहनी जी की अगुआई में भइल। एही दौरान १९०४1904 ई. में संग्रहालय के अस्थापना भइल आ १९१०1910 ई. में एकर बिल्डिंग बन के तैयार भइल जहाँ एह खोदाई के मिलल सामन रक्खल बा।
 
== देखे लायक ==
"https://bh.wikipedia.org/wiki/सारनाथ" से लिहल गइल