होली: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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'''होली''' [[बसंत ऋतु]] में मनावल जाये वाला एगो महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार ह।<ref name="OED-Holi">The New Oxford Dictionary of English (1998) ISBN 0-19-861263-X - p.874 "'''Holi''' /'həʊli:/ '''noun''' a Hindu spring festival ...".</ref> इ पर्व [[हिंदू पंचांग]] के अनुसार [[फागुन]] मास की [[पुर्नवासी]] के मनावल जाला ।<ref>{{cite web|url=http://www.himalayanwonders.com/blog/celebrate-holi-nepals-colorful-festival.html|title=हिंदू विक्रम संवत् कैलेंडर के रूप में नेपाल और भारत में होली त्योहार की तिथि}}</ref>
 
फागुन में मनावे जाए वाला होली क त्योहार [[सम्मत फूँकल|होलिका की दहन]] की साथ एक रात पहिलहीं से शुरू हो जाला ओइजा लोग एकट्ठा होला, होलिका दहन की आगे कईगो आपन रीति-रिवाज निभावेला आ प्रार्थना करेला। ओकरी अगिला सबेरे रंगवाली होली मनावल जाला, इ एगो रंग महोत्सव की तरह होला जवने में हर केहू शामिल हो सकेला। ए महोत्सव में शामिल होखे वाला लोग एकदूसरे प रंग डाल के, गुलाल लगाके होली मनावेला। लोगन क दल ड्रम बजावेला, जगहे-जगहे नाचेला गावेला। लोग रंग खेले एकदूसरे की घरे जाला, खूब हँसी मजाक, गप्पा लागेला, ओकरी अलावा खईले पियले क कार्यक्रम होला, कुछ लोग भाँग वगैरह क सेवन करेला। इ सब कुल ख़तम होखले की बाद सांझी क, अदमी अच्छा से कपड़ा पहिन के अपनी दोस्त रिश्तेदारन से मिले जाला।।<ref name=ht>[http://www.hinduismtoday.com/pdf_downloads/pagers/Hindu-Festival_Holi_broadsheet-color.pdf होली: दोस्ती के रंग के साथ छिड़क] हिन्दूइसम टुडे,हवाई (२०११2011)</ref>
 
इ त्योहार अच्छाई क बुराई पर जीत क संदेशा देला ओकरी अलावा, वसंत ऋतु क आगमन, शीत ऋतु क अंत क संकेत की साथ कई अदमी खातिर इ त्योहार सबसे मेल मिलाप, हँसले बोलले क बहाना, कड़वाहट भुला के माफ़ी दिहले क आ आपन टूटल रिश्ता जोड़ले क मौका होला।
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[[File:Holi Bonfire Udaipur.jpg|thumb|left|150px|होलिका जरावल, उदयपुर, राजस्थान]]
होली मनवले की पीछे एगो किवंदती बा। “होली” शब्द “[[होलिका]]” में से आईल बा, होलिका पंजाब क्षेत्र की मुलतान में असुरन की राजा हिरण्यकश्यप क बोहिन रहे। किवंदती की अनुसार राजा हिरण्यकश्यप
<ref>कबीर भाई-शिष्य उनकी कविता में रैदास, ''प्रह्लाद चरित'', अपने बेटे के रूप में मुल्तान और प्रहलाद के राजा के रूप में हिरण्यकश्यप को संदर्भित करता है; डेविड लोरेंज़ेन, (१९९६1996), सनी प्रेस, प.१८18, [https://books.google.co.uk/books?id=tE3sShuid5gC&pg=PA18&dq=multan+prahlad&hl=en&sa=X&ei=9pH8VJu8A-WE7ga4sICgAQ&ved=0CCAQ6AEwAA#v=onepage&q=multan%20prahlad&f=एक निराकार परमेश्वर को झूठी प्रशंसा: उत्तर भारत से निर्गुणी ग्रंथों]</ref> के एगो वरदान मिलल रहे जवने की वजह से उ लगभग अविनाशी हो गईल रहे और एसे उ आगे चलके अहंकारी हो गईल और खुदके भगवान माने लागल, और फेर सबके आदेश जारी क दिहलस की सभे खाली ओहि क पूजा करे।
 
लेकिन ओकर आपन लईका प्रह्लाद<ref>[http://www.holi2014wall.in/prahlad-and-holika-katha-kahani-in-hindi-and-english/ प्रह्लाद एंड होलीका कथा (कहानी) इन हिंदी]</ref> ओकरी ए बात से सहमत नाहीं रह न। उ पहिलहीं से भगवान विष्णु के मानें और हिरण्यकश्यप की आदेश की बादो भगवान विष्णुए क पूजा कइल जारी रख न। ए वजह से हिरण्यकश्यप प्रह्लाद के कई बेर क्रूर सजा दिहलस लेकिन एको बेर प्रह्लाद के न कौनों नुकसान पहुँचल और न ही उनकी सोच पर कौनों फर्क पड़ल। आखिर में होलिका प्रह्लाद के बहला - फुसला के चिता में साथ ले के बैठल। होलिका एगो चोगा पहिनले रहे जवन ओकर आग से रक्षा करे, लेकिन चिता में जैसे आग लागल उ चोगा होलिका की देहीं से उड़ के प्रह्लाद के ढक लिहलस जेसे प्रह्लाद त आगी से बच गईन लेकिन होलिका जर गईल। एसे बौखलाइल हिरण्यकश्यप अपनी गदा से एगो खंभा पर प्रहार कइलस, खंभा फूटल और ओमें से भगवान विष्णु नरसिंह अवतार लेके प्रकट भई न और हिरण्यकश्यप क खात्मा कई न।
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रंग क त्योहार कहल जाये वाला इ पर्व पारंपरिक रूप से दू दिन मनावल जाला। इ प्रमुखता से [[भारत]] अउरी [[नेपाल]] में मनावल जाला !<ref>{{cite web|url=http://www.weallnepali.com/nepali-festivals/holi|title=नेपाली की होली उत्सव}}</ref> इ त्यौहार कई अउरी देश जौना में अल्पसंख्यक हिन्दू लोग रहेलन , उहवो धूम धाम क साथ मनावल जाला! पहिले दिन होलिका जलावल जाला, जवना के होलिका दहन भी कहल जाला। दुसरा दिन , जवना के धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन कहल जाला, लोग एक दुसरा पे रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेकेलन, ढोल बजा के होली के गीत गावल जाला, अउरी घरे-घरे जाके लोगन के रंग लगावल जाला।<ref name=ori>[http://www.bbc.co.uk/religion/religions/hinduism/holydays/holi_1.shtml धर्म - हिंदू धर्म: होली]. बीबीसी. Retrieved on 2011-03-21.</ref>
 
अइसन मानल जाला कि होली क दिन लोग पुरान कटुता के भुलाके गले मिलेलन अउरी फिर से सँगी बन जालन। एक दूसरा के रंगे अउरी गावै बजावै क दौर दुपहरिया तक चलेला। एकरा बाद नहा के सुस्तइला क बाद नया कपड़ा पहिन के सांझ के लोग एगो दुसरा क घरे मीले जालन, गले मीलेलन अउरी मिठाइ खालन ।<ref name=ihh>[http://www.indiaheritage.org/culture/holi.htm होली]भारत धरोहर: संस्कृति, मेले और त्योहार (२००८2008)</ref>
[[File:Holi Celebration 2013.jpg|thumb|right|260px|होली मानवत लोग]]
 
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