सारनाथ: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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'''सारनाथ''' [[बनारस]] से करीब दस किलोमीटर दूर उत्तर पच्छिम दिशा में एगो अस्थान बाha जहाँ [[भगवान बुद्ध]] आपन पहिला उपदेश दिहलन।dia । भगवान बुद्ध ए अस्थान पर मृगदाव, ऋषिपत्तन में आपन पहिला उपदेश दिहलन जेवना के [[धर्मचक्र प्रवर्तन]] कहल जाला। एही कारण महाराजा [[अशोक]] एह अस्थान पर एगो स्तंभ (खम्भा) लगववलन जेवना के [[अशोक स्तंभ|सारनाथ क अशोक स्तंभ]] कहल जाला। [[भारत क राष्ट्रीय चिह्न]] एही अशोक स्तंभ की मुकुट (ऊपरी हिस्सा, Capitol Stone) की आकृति क नकल हवे। आजकाल ए स्तंभ की मुकुट के सारनाथ संग्रहालय में सुरक्षित रखल गइल बा। [[ऋषिपत्तन]], जेवना के पाली भाषा में [[ऋषिपत्तन|इशिपत्तन]] भी कहल जाला बौद्ध धर्म की चार सबसे प्रमुख तीरथ में गिनल जाला, बाकी तीनों हवें [[लुम्बिनी]], [[बोधगया]] अउरी [[कुशीनगर]]। इहँवा सारनाथ में [[धम्मेक स्तूप]], [[मूलगंध कुटी]], [[सारनाथ संग्रहालय]] आ अउरी कई मंदिर देखे लायक बा। पुरातात्विक खुदाई में मिलल तरह तरह के मूर्ति आ सामन भी संग्रहालय में रखल बा जवन इतिहास आ संस्कृति की विद्यार्थी खातिर बहुत महत्व क चीज बा।
 
[[जैन धर्म]] के इग्यारहवाँ तीर्थंकर [[श्रेयांशनाथ]] के भी जनम एही जगह से थोड़ी दूरी पर भइल रहे जे से सारनाथ क महत्व जैन धर्म के माने वालन में भी बा।
 
[[Image:Sarnath1.jpg|thumb|right|[[धम्मेक स्तूप]], सारनाथ ]]
 
== नाँव क उत्पत्ति ==
'''सारनाथ''' शब्द के उत्पत्ति संस्कृत भाषा की सारंगनाथ से मानल जाला, जेकर अर्थ होला ‘हरिना (हिरन) के राजा’। कहानी ई कहल जाला कि बोधिसत्व जब हिरन की रूप में अवतार लिहलें तब शिकार खेले वाला राजा से एगो गर्भवती हिरनी के जान बचावे की खातिर आपन प्राण निछावर कइ दिहलन। राजा ए बात से प्रभावित हो के हरिना कुल के शिकार कइल छोड़ दिहलें आ एही अस्थान पर हरिना कुल खातिर एगो अभयारण्य बनवा दिहलन जहाँ केहू हरिना के शिकार न करे। आज एकरी प्रतीक की रूप में हिरन पार्क इहाँ बंवावल गइल बा। सारंगनाथ की नाम की साथ आजकाल इहाँ एगो शिव मंदिर भी बा जेवना आधार पर कुछ लोग ई कहेला कि ई जगह प्राचीन काल से शिव की पूजा क आस्थान रहे आ इहाँ पहिले भी सारंगनाथ शिव के पूजा होखे। हालाँकि ई बाति उल्टो हो सकेला कि शिव के पूजा बाद में ए बौद्ध अस्थान पर शुरू भइल होखे।
"https://bh.wikipedia.org/wiki/सारनाथ" से लिहल गइल