चंद्रगुप्त I: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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चन्द्रगुप्त I, गुप्त साम्राज्य के संस्थापक श्री गुप्त के पोता आ घटोत्कच के लइका रहलें आ एह तरीका से श्रीगुप्त आ घटोत्कच के बाद एह बंस के तीसरा राजा रहलें। इनके राज के सुरुआत 319-320 ई से भइल आ एह उपलक्ष में ई नया संवत चलवलें जेकरा के गुप्त संवत कहल जाला आ बाद के कई अभिलेख सभ में एकर जिकिर मिले ला।{{sfn|शर्मा|2009|p=236}}
 
==बिबरन==
चंद्रगुप्त प्रथम, गुप्त साम्राज्य के संस्थापक [[श्रीगुप्त]] के पोता रहलें आ एह बंस के दूसरा राजा घटोत्कच इनकर बाबूजी रहलें। अपना बाबा आ बाबूजी के बाद चंद्रगुप्त 319-320 ई में राजगद्दी पर बइठलें आ "महाराजाधिराज" के पदवी धारण कइलें। हालाँकि ई पदवी इनका से पहिले, कुषाण बंस के राजा लोग भी इस्तेमाल करे।<ref name="Thapar2008"/>
 
इनकार बियाह लिच्छवि राजकुमारी कुमारदेवी से भइल आ एह तरीका से इनके लिच्छवी लोग आ वैशाली राज्य पर नियंत्रण हो गइल।<ref name="Lal" /> कौसांबी आ कोसल के जीत के अपना राज में मिलवलें आ आपन राजधानी पाटलिपुत्र में स्थापित कइलें।<ref name="Lal">{{cite book|author=दिलीप कुमार लाल|title=बृहत्तर भारत का निर्माता चंद्रगुप्त मौर्य|url=https://books.google.com/books?id=ukdqCwAAQBAJ&pg=PA99|isbn=978-93-5048-583-5|pages=99–}}</ref>
 
चंद्रगुप्त, लगभग 335 ईस्वी में अपना बेटा समुद्रगुप्त के आपन उत्तराधिकारी नियुक्त कइलें।<ref name="Thapar2008">{{cite book|author=रोमिला थापर|title=भारत का इतिहास (1000 E.P-1526 E)|url=https://books.google.com/books?id=Kar5P7KSbbIC&pg=PA124|date=2008|publisher=राजकमल प्रकाशन प्रा॰ लि॰|isbn=978-81-267-0568-9|pages=124–}}</ref>
 
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