हिंदी साहित्य: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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(कौनों अंतर नइखे)

16:59, 11 नवंबर 2017 तक ले भइल बदलाव

अपना सभसे ब्यापक रूप में, हिंदी साहित्य में, खड़ी बोली के मानकीकरण से बनल वर्तमान हिंदी भाषा, आ उत्तरी भारत के मैदानी इलाका के बिसाल हिस्सा में बोलल जाए वाली कई बोली सभ[1] में लिखल गइल साहित्य के सामिल कइल जाला। कई बिद्वान लोग सातवीं सदी ईसवी के दौर में अपभ्रंश में रचल गइल साहित्य के भी हिंदी साहित्य में सामिल करे ला, आ एकरा के पुरानी हिंदी कहे ला,[2] हालाँकि एह बारे में कौनों एकमत नइखे।[3]

  1. Dr Ramkumar Verma. Hindi Sahitya Ka Aalochnatmak Itihas. Rajkamal Prakashan Pvt Ltd. pp. 46–. ISBN 978-81-8031-094-2.
  2. Hazari Prasad Dwiwedi (September 2009). Hindi Sahitya:Udbhav Aur Vikas. Rajkamal Prakashan Pvt Ltd. pp. 18–. ISBN 978-81-267-0035-6.
  3. Bachchan Singh (2004). Hindi Sahitya Ka Doosara Itihas. Radhakrishna Prakashan Pvt Ltd. pp. 22–. ISBN 978-81-7119-785-9.