आदि शंकर: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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{{Infobox Hindu leader
'''आदि शंकर''' भा '''आदि शंकराचार्य''' आठवीं सदी के भारतीय दार्शनिक आ धर्मशास्त्री रहलें। हिंदू दर्शन के अद्वैत वेदांत शाखा के समुचित रूप से संगठित आ बेवस्थित रूप दिहलें आ वर्तमान हिंदू धर्म के बिबिध बिचार-धारा सभ के अस्थापित कइलें।
|image = Raja Ravi Varma - Sankaracharya.jpg
|alt = Adi shankara
|caption = ''शिष्य लोग के संघे आदि शंकर'', [[राजा रवि वर्मा]] (1904)
|birth_date = 788 CE{{sfn|Sharma|1962|p=vi}}
|birth_place = कालादि <br />वर्तमान कोच्चि, केरल, भारत
|birth_name = शंकर
|death_date = 820 CE{{sfn|Sharma|1962|p=vi}} (उमिर 32)
|nationality = [[भारत के लोग|भारतीय]]
|death_place = [[केदारनाथ]]<br />वर्तमान उत्तराखंड, भारत
|guru = गोविंद भगवत्पाद
|philosophy = [[अद्वैत वेदांत]]
|honors = [[जगद्गुरु]]
|known_for = अद्वैत वेदांत के परतिष्ठा खाती
|founder = [[दशनामी संप्रदाय]]<br>[[अद्वैत वेदांत]]
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|title = [[कांची कामकोटि पीठ]]
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|predecessor = बनवलें
|successor = [[सुरेश्वराचार्य]]
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'''आदि शंकर''' भा '''आदि शंकराचार्य''' आठवीं -सदी के [[भारतीय दर्शन|भारतीय दार्शनिक]] आ धर्मशास्त्री रहलें। हिंदू दर्शन के [[अद्वैत वेदांत]] शाखा के समुचित रूप से संगठित आ बेवस्थित रूप दिहलें आ वर्तमान हिंदू धर्म के बिबिध बिचार-धारा सभ के अस्थापित कइलें।
 
आदि शंकराचार्य के [[संस्कृत]] में लिखल रचना सभ में आत्मन आ निर्गुण ब्रह्म के होखे के बात कहल गइल बा। अपना एह मत के अस्थापित करे खातिर शंकराचार्य वैदिक परंपरा के कई ग्रंथ सभ (ब्रह्म सूत्र, उपनिषद, आ [[भगवद्गीता]]) पर बिस्तार से टीका लिखलें। शंकर ओह समय के कर्मकांड प्रमुख [[मीमांसा]] शाखा के आलोचना कइलें आ हिंदू आ [[बौद्ध धर्म]] में साफ़ अंतर अस्थापित कइलें कि हिंदू धर्म माने ला कि आत्मन् के अस्तित्व बा जबकि बौद्ध धर्म कौनों आत्मा के अस्तित्व होखे के नकार देला।
 
शंकराचार्य पूरा भारत के भ्रमण कइलें आ बिद्वानन से शास्त्रार्थ कइलें अउरी आपन मत के परतिष्ठा कइलेन। इनके द्वारा [[भारतीय उपमहादीप]] में चार गो मठ के अस्थापना कइल गइल।
 
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