गोपालगंज जिला: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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गोपालगंज के बारे में.
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भारत देश के अन्तर्गत बिहार राज्य के एगो प्रशासनिक जिला हवे- [[गोपालगंज]]। ई जिला सारण प्रमंडल के अन्तर्गत आवेला, जेकर जिला मुख्यालय गोपालगंज शहर में स्थित बा। एह जिला में मुख्यरूप से [[भोजपुरी]] औरी गौण रूप से हिन्दी भी बोलल जाला।
<h2><span class="mw-headline" id="इतिहास">इतिहास</span></h2>
<p>समृद्ध ऐतिहासिक पृष्ठभूमि औरी शानदार संस्कृति वाला एगो खूबसुरत जिला के रूप में विख्यात बा- गोपालगंज। आपन बहादुरी औरी लोगन के आजादी से प्यार करे वाला मल्ल वंश के नांव भी एह गोपालगंज से जुड़ल बा। प्रागैतिहासिक काल में, गोपालगंज नेपाल देश के हिस्सा रहे। खाली इहे ना नेपाल राजतंत्र सरयू नदी के किनारे तक ले रहे, जवन आज सीवान जिला कहलाला। सीवान के मतलबे होला- सीमा। १८७५ ई. तक गोपालगंज एगो छोट इलाका रहे, जवन ओही साल में पुरनका सारण (एकरा अन्तर्गत वर्तमान में गोपालगंज, सीवान औरी छपरा जिला आवेला) जिला के एगो अनु्मंडल बनल। ०२ अक्टुबर, १९७३ के सारण से अलग होखे एगो स्वतंत्र जिला बनल।</p>
<p>पुरनका सारण जिला के इतिहास ही गोपालगंज के इतिहास भी ह। संयुक्त सारण जिला आर्य सभ्यता के आवेवाला मुख्य रास्ता में से एगो ह।</p>
<p>वैदिक साहित्य में संरक्षित एगो परंपरा के अनुसार, विदेह लोग सरस्वती नदी के पूरब की ओर चलल शुरु कईले औरी चलत-चलत गंडक नदी के किनारे आ गईल लोग। ओहिजा पहुंचला पर आग के देवता "अग्नि" ओह लोगन से कहले कि एह जलधारा के पूरब में रउआ सभे बस जाईं औरी एह जगह के स्वर्गमय बना दीं। अग्नि देवता के बात मान के विदेह लोग नदी के दूसरा तरफ यानि कि पूरबी किनारे पर जाके एगो शक्तिशाली राज्य के स्थापना कईल लोग&#160;; एहु बात के संभावना भी व्यक्त कईल जाला कि अधिकांश लोग तो गंडक पार कर लिहल लोग लेकिन ओहिमें से कुछ लोग पुरनका सारण (जवन रास्ता में ही पड़त रहे) में ही रुक गईले।</p>
<h2><span class="mw-headline" id="भूगोल">भूगोल</span></h2>
<p>गोपालगंज जिला भौगोलिक रूप से <i>२६° १२</i> से <i>२६° ३९</i> उत्तरी अक्षांश औरी <i>८३° ५४</i> से <i>८४° ५५</i> पूरबी देशांतर में स्थित बा। एह जिला के कुल क्षेत्रफल २०३३ वर्गकिलोमीटर औरी कुल जनसंख्या इक्कीस लाख उनचास हजार तीन सौ तैंतालिस [२,१४९,३४३ (२००१ के जनगणना के अनुसार)]</p>
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<dt>चौहद्दी</dt>
<dd>उत्तर: पूरबी (मोतिहारी) और पश्चिमी चंपारण (बेतिया) जिला</dd>
<dd>दक्खिन: सिवान औरी छपरा जिला</dd>
<dd>पूरब: पूरबी चंपारण और मुजफ्फरपुर जिला</dd>
<dd>पश्चिम: उत्तर प्रदेश</dd>
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<dt>मुख्य शहरी केंद्र</dt>
<dd>गोपालगंज, मीरगंज, बरौली, कटेया, विजयीपुर, कुचायकोट, सासामुसा, थावे, माँझागढ़, महम्मदपुर, दिघवा-दुबौली, ऊँचकागाँव, फुलवरिया, हथुआ, भोरे, बड़कागाँव।</dd>
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<dt>मौसम/जलवायु</dt>
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<p>गोपालगंज के जलवायु विविधतापूर्ण हवे। गर्मी के मौसम में ई जिला बहुते गर्म आ शुष्क हो जाला। खूब जोर से लू चले लागेला औरी तापमान कबो-कबो ४५ डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाला। मानसून के समय में लगभग ५०० मिमी तक बारिश होवेला, जवना के चलते जाड़ा के मौसम में तापमान ठीक-ठाक रहेला (हालांकि, ग्लोबल वार्मिंग के चलते गर्मी और जाड़ा वर्तमान समय में जादा ही पड़ रहल बा)। एह जिला में औसत वर्षा लगभग २९० मिमी होला, औरी तापमान १० से ४५ डिग्री सेल्सियस के बीच रहेला।</p>
<h2><span class="mw-headline" id="Demographics">जनसांख्यिकी</span></h2>
<p>२००१ के जनगणना के अनुसार:</p>
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<dd>कुल जनसंख्या: २,१४९,३४३ (राज्य के जनसंख्या के २.५९%)</dd>
<dd>जनसंख्या घनत्व: १०५७</dd>
<dd>पुरूष: १,०७२,१५१ (४९.८९%)</dd>
<dd>औरत: १,०७७,१९२ (५०.१२)</dd>
<dd>शहरी जनसंख्या: १३०,५३६ (६.०७%)</dd>
<dd>गँवई जनसंख्या: २,०१८,८०७ (९३.९३%)</dd>
<dd>अनुसूचित जाति के प्रतिशत: १२.४३%</dd>
<dd>अनुसूचित जनजाति के प्रतिशत: ०.२९%</dd>
<dd>लिंग अनुपात: १००५</dd>
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<h2><span class="mw-headline" id="Agriculture">कृषि</span></h2>
<p>गोपालगंज में मुख्य रूप से ऊँख (गन्ना), दलहन, धान, गेहूँ और विभिन्न प्रकार के तरकारी (सब्जी) के उत्पादन होला। बागवानी भी होखेला किंतु बहुत ही सीमित रूप से। इहाँ मुख्य रूप से ऊँख के उत्पादन होखला के कारण कई गो चीनी मिल बाड़ी सन, जेहिमे गोपालगंज शहरिया में स्थित विष्णु सुगर मिल सबसे प्रमुख बा। एकरा अलावे कई गो कोल्ड स्टोरेज भी बाड़ी सन।</p>
<h2><span class="mw-headline" id="Education">शिक्षा</span></h2>
<p>कुछ साल पहिले तक त गुणात्मक शिक्षा के क्षेत्र में गोपालगंज के कवनो ज्यादा नाम ना रहे। लोग आपना बचवा सभे के आगे पढ़ावे के खातिर दिल्ली, इलाहाबाद, पटना इत्यादि जगहन पर भेज देत रहे लोग। हालांकि अभियो स्थिति में कवनो ज्यादा सुधार नईखे, लेकिन पहिले से स्थिति बेहतर बा। वर्तमान में एहिजा स्थित विद्यालय/महाविद्यालय में से अधिकांश सरकार द्वारा चलावल जाला। कुछ स्कूल निजी ट्रस्ट और व्यक्ति द्वारा भी संचालित बाटे। लगभग सारा स्कूल या त केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) या बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से जुड़ल बाड़ल सन। कहे खातिर त अधिकांश निजी विद्यालय अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देवे के दावा करेलन सन, लेकिन वास्तविकता एहिसे कोसो दूर बा। सरकारी विद्यालय में से अधिकांश के माध्यम हिंदी बा। दसवीं तक के पढ़ाई के बाद अधिकांश लईका-लईकी इंटरमीडिएट के पढ़ाई करे खातिर कला, विज्ञान में से ही कवनो एगो मुख्य रूप से चुनेला। वाणिज्य के पढ़ाई के एहिजा बहुत सही माहौल औरी सुविधा उपलब्ध नईखे। गोपालगंज मुख्य रूप से माध्यमिक स्तर तक के शिक्षा खातिर सही बा। एह स्तर तक के स्कूलन में भी.एम.उच्च विद्यालय, डी.ए.वी उच्च विद्यालय, केन्द्रीय विद्यालय (वर्तमान में ई गोपालगंज शहर के भी.एम.उच्च विद्यालय के प्रांगण में स्थित बा), सैनिक स्कूल, गोपालगंज (ई हथुआ में स्थित बा), जवाहर नवोदय विद्यालय औरी डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल (थावे में स्थित) प्रमुख बाड़ी सन। एह जिला में लगभग २९० प्राथमिक विद्यालय, १०० माध्यमिक विद्यालय, ०८ उच्चचर माध्यमिक विद्यालय, ०५ महाविद्यालय, ०१ औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और ०१ पॉलिटेक्नीक महाविद्यालय बाटे। स्नातक-स्तरीय शिक्षा के बादा आगे पढ़ाई करेके खातिर लईकन के बाहर जाएके पड़ेला।</p>
<h2><span class="mw-headline" id="Festivals">परब-त्यौहार</span></h2>
<p>एह जिला के मुख्य पर्व पूरा बिहार के तरह छठ पर्व ह। कातिक के महीना में होखेवाला छठ के धूमधाम औरी मान्यता त एहिसे पता चल जाला कि बिहार जाए वाली कवनो गाड़ी में तीन महीना पहिलहि सीट आरक्षित हो जाला। औरी जे टिकट ना करा पवले होला उ केहु तरह से भी जाए के मन बना ले ला। बाहर काम करे वाला मनई भले साल में कबो घर ना जा पावे लेकिन छठ में जरुरे घर जाए के कोशिश करेला। एकरा अलावे दीवाली, गोधन-पूजा, होली, रक्षा-बंधन, राम-नवमी, दुर्गा-पूजा (अक्टूबर-नवंबर) इत्यादि सगरे पर्व बहुते धूम-धाम से मनावल जाला। रक्षा-बंधन दिन गोपालगंज शहरिया में महावीर अखाड़ा के जुलूस त देखले बनेला।</p>
<h2><span class="mw-headline" id="Tourist places">पर्यटन स्थल</span></h2>
<p>'''थावे''': गोपालगंज जिला मुख्यालय से मात्र छः किलोमीटर के दूरी पर सिवान जाएवाला राजमार्ग पर थावे नाम के जगहा बा । ओहिजा माई थावेवाली[http://www.jaimaathawewali.com] के बहुते पुरान मंदिर बा। माई थावेवाली के सिंहासिनी भवानी, थावे भवानी भा रहषु भवानी ओ कहल जाला। चईत के महीना में एहिजा बहुते बड़हन मेला लागेला। मंदिरे के बगल में एगो बहुत ही बड़हन पेड़ बा, जवना के अबले वनस्पतीय वर्गीकरण नईखे हो पावल।</p>
<p>देशो-विदेश में रहेवाला लोग जब साल-दूसाल पर अपना घरे आवेला तब ऊ थावेवाली माई के दर्शन करे जरुर आवेला।. बाकिर अफ़सोस एह बात के बा कि एतना महातम के बावजूद एह स्थान के सही तरीका से विकास नईखे भईल। आम जनता आ प्रशासन के मिलजुल के एह स्थान के समुचित विकास के कोशिश करे के चाहीं जेहसे कि माई के स्थान विश्व का मानचित्र पर एगो महत्बपूर्ण दर्शनीय जगह बन जावे।</p>
<p>'''दिघवा दुबौली''': गोपालगंज से ४० किलोमीटर दक्खिन-पूरब तथा छपरा से मशरख जाए वाली रेल लाईन पर ५६ किलोमीटर उत्तर में दिघवा-दुबौली एगो जगह बा, जहांपिरामिड के आकार के दुठो टीला बा। अईसन मानल जाला कि एकर निर्माण एहिजा शासन कर रहल चेर राजा लोग बनवले रहे।</p>
<p>'''हुस्सेपुर''': गोपालगंज से २४ किलोमीटर उत्तर-पछिम में झरनी नदी के किनारे हथुआ महाराजा के बनवावल किला अब खंडहर हो गईल बा।। ई गाँव पहिले हथुआ नरेश के गतिविधियन के केंद्र रहे। किला के चारु ओरी बनल खड्डा अब भर चुकल बा। किला के सामने बनल टीला हथुआ राजा के मेहरारु द्वारा सती होखे के गवाह बा।</p>
Manidiwakar १५:१५, २९ अप्रिल २०१० (UTC)