महात्मा गाँधी: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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=== बचपन ===
मोहनदास करमचंद गाँधी<ref name="Gandhi name">Todd, Anne M. (2012) [https://books.google.com/?id=svxDMQZ7fakC&pg=PA8 Mohandas Gandhi], Infobase Publishing, {{ISBN|1438106629}}, प. 8: ''The name Gandhi means "grocer", although Mohandas's father and grandfather were politicians not grocers.''</ref> के जनम 2 अक्टूबर 1869 के एगो गुजराती हिंदू मोध बनिया परिवार<ref>{{cite book|title=Responses to One Hundred and One Questions on Hinduism By John Renard|year=1999|page=139|url=https://books.google.com/?id=alc0d3Ys-dIC&pg=PA139|isbn=9780809138456|author=Renard, John}}</ref> में पोरबंदर (जेकरा के सुदामापुरी के नाँव से भी जानल जाला) में भइल जे काठियावाड़ प्रायदीप क एगो समुंद्र के किनारे बसल कस्बा हवे आ ओह जमाना में भारत राज के काठियावाड़ एजेंसी के अंदर पोरबंदर स्टेट के नाँव से रहल। इनके बाबूजी, करमचंद उत्तमचंद गांधी (1822-1885) पोरबंदर राज के दीवान (मुख्यमंत्री) रहलें।<ref>Mohandas K. Gandhi, ''Autobiography'' chapter 1 (Dover edition, p. 1).</ref> 2 अक्टूबर 1869 के इनहीं के घरे इनके मेहरारू पुतलीबाई आपन सभसे छोट बेटा, मोहनदास, के जनम दिहली। मोहनदास से बड़ एगो बहिन रालिताबेन (1862-1960) रहली आ सभसे बड़ संतान लक्ष्मीदास (c. 1860-1914) रहलें। मोहनदास बचपने में बहुत चंचल रहलें। इनके बहिन इनका बचपन के बारे में बतावेली कि इनके "सभसे प्रिय खेल कुक्कुरन के कान मिमोरल रहे"।<ref>{{cite book|title=Gandhi before India|date=16 Marchमार्च 2015|publisher=Vintage Books|isbn=978-0-385-53230-3|page=22}}</ref> भारतीय क्लासिक कथा सभ, खासतौर से सरवन के आ हरिसचंद राजा के कहानी के इनके बचपन पर बहुत परभाव परल। गाँधी अपना आत्मकथा में ई बात खुदे स्वीकार कइले बाने।<ref name="Sorokin2002"/><ref name="RudolphRudolph1983">{{cite book|author1=Rudolph, Susanne Hoeber |author2=Rudolph, Lloyd I. |lastauthoramp=yes |title=Gandhi: The Traditional Roots of Charisma|url=https://books.google.com/?id=JsPYNLAU9KYC&pg=PA48|year=1983|publisher=University of Chicago Press|page=48|isbn=9780226731360}}</ref>
 
गाँधी के महतारी एगो धार्मिक औरत रहली आ परनामी वैष्णव हिंदू परिवार से रहली। उनके परभाव गांधी पर बहुत परल। 1874 में गांधी के पिताजी पोरबंदर छोड़ के राजकोट आ गइलें आ इहाँ के राजा के इहाँ दीवान बन गइलें। एकरे बाद पूरा परिवारो राजकोट आ गइल। 9 बरिस के उमिर में गाँधी के लोकल इस्कूल में एडमीशन भइल। इहाँ ऊ सुरुआती गणित, इतिहास, गुजराती भाषा आ भूगोल पढ़लें। इगारह बरिस के उमिर में उनके एडमीशन राजकोट के हाई इस्कूल में भइल। ऊ औसत दर्जा के बिद्यार्थी रहलें, कुछ इनामो जितलें, बाकी लजाधुर आ चुप्पा किसिम के रहलें आ खेलकूद में कौनों रूचि ना रहल; इनके साथी बस किताब आ इस्कूल में मिले वाला काम भर रहल।