वेद: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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वेद सभ के संख्या चार गो बा। [[ऋग्वेद]], [[सामवेद]] आ [[यजुर्वेद]] के वेदत्रयी के रूप में जानल जाला; चउथा वेद, [[अथर्ववेद]] के बाद के मानल जाला आ एह में लौकिक चीज, जादू-टोना आ अउरी बिबिध चीज के बर्णन बाटे। वैदिक साहित्य में एह चार गो वेद सभ के अलावा ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्यक आ उपनिषद सभ के शामिल कइल जाला। उपवेद सभ के वैदिक साहित्य में ना शामिल कइल जाला बलुक इनहन के वैदिकोत्तर (वेद के बाद के) साहित्य के रूप में मानल जाला।
 
== चारो वेद ==
=== ऋग्वेद ===
[[ऋग्वेद]] आर्य लोग के सभसे पुरान ग्रंथ हवे। एह में प्रमुख रूप से, बिबिध देव लोग के स्तुती में सूक्त बाड़े, कुछ सूक्त अन्य तरह के भी बाड़ें। एह में सूक्त सभ के गिनती 1028 (चाहे 1017) बा आ कुल 10580 मंत्र बाड़ें। जग्य करावे वाला पुरोहित, जे एह मंत्र सभ के पढ़ें, "होता" कहायँ।
 
एकर तीन गो पाठ मिले लें, साकल्य (1017 सूक्त), बालखिल्य (11 सूक्त जिनहन के आठवाँ मंडल के परिशिष्ट मानल जाला), आ वाष्कल (56 सूक्त, अब मिले लें नाहीं)।
 
ऋग्वेद के कुल 10 मंडल में बिभाजित कइल गइल बा। एह में दुसरा से सातवाँ ले सभसे पुरान मानल जालें; पहिला, आठवाँ, नउवाँ आ दसवाँ के बाद के मानल जाला। ऋग्वेद के दू गो ब्राह्मण ग्रंथ मिले लें: ऐतरेय आ कौषीतकी। ई एकर गद्य वाला भाग हवें।
 
=== यजुर्वेद ===
[[यजुर्वेद]] मुख्य रूप से जग्य के कर्मकांड से संबंधित हवे। 40 अध्याय के एह वेद में कुल 1990 मंत्र बाड़ें। जग्य के कर्मकांड करावे वाला पुरोहित के "अध्वर्यु" कहल जाय। एह वेद के दू गो शाखा, शुक्ल यजुर्वेद आ कृष्णयजुर्वेद बाड़ी सऽ।
 
=== सामवेद ===
[[सामवेद]] के रचना वेद के मंत्र सभ के गावे खाती भइल हवे। एह में आपन खुद के 75 गो मंत्र बाड़ें आ बाकी ऋग्वेद के हवें। ई जग्य में मंत्र के गावे वाला पुरोहित लोग के खाती कइल संकलन हवे, एह लोग के "उद्गातृ" कहल जाय।
 
सामवेद के दू गो उपनिषद हवें: छान्दोग्य आ जैमिनीय। छांदोग्य के सभसे पुरान उपनिषद मानल जाला। एही में पहिली बेर देवकी पुत्र कृष्ण के उल्लेख मिले ला।
 
===अथर्ववेद ===
[[अथर्ववेद]] चउथा वेद हवे। ई वेदत्रयी में ना शामिल हवे। जग्य के समय आवे वाला बाधा सभ क निवारण करे खातिर एकरा के ब्रह्मवेद भी कहल जाला। एह में कुल 731 सूक्त आ 6000 मंत्र बाड़ें जिनहन के 20 अध्याय में बिभाजन बा। एकरे मंत्र के पढ़े वाला के "ब्रह्मा" कहल जाय। एह वेद में वशीकरण, जादू-टोना इत्यादि के बिबरन मिले ला।
 
अथर्ववेद के दू गो शाखा बाड़ी, शौनक आ पिप्पलाद। एकलौता ब्राह्मण ग्रंथ गोपथ ब्राह्मण हवे आ एकर कौनों आरण्यक नइखें। एह वेद के तीन गो उपनिषद हवें – मुंडकोपनिषद, मांडूक्योपनिषद आ प्रश्नोपनिषद। मांडूक्योपनिषद सभसे छोट उपनिषद हवे। परसिद्ध वाक्य "सत्यमेव जयते" मुंडकोपनिषद में आइल हवे।
 
==संदर्भ==
"https://bh.wikipedia.org/wiki/वेद" से लिहल गइल