संधि: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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व्याकरण में '''संधि''' संस्कृतदू व्याकरणगो केशब्दखंड चीज(morpheme) हवेचाहे जेहशब्द में(word) शब्दनसभ के एक दुसरे से जुड़ावजोड़ के समय उच्चारण में होखे वाला बिबिध बदलाव के ब्याख्या कइल जाला। संधि के आम अरथ जोड़ हवे। दू गो पद या शब्दखंड (याचाहे शब्द) जब एक के बाद एक आवे लें तब उनहन के जोड़ के एक-साथे होखे वाला उच्चारण में कुछ बदलाव हो जाला। ई बदलाव [[भाषा बिज्ञान]] में ध्वनिबिज्ञान (बिसेस रूप से morphology) के तहत पढ़ल-पढ़ावल जाला आ [[संस्कृत व्याकरण]] में संधि के अंतर्गत एकर बिबरन आ ब्याख्या कइल जाले।
 
संधि मुख्य रूप से [[संस्कृत]] ब्याकरणभाषा आ अउरी कई भारतीय भाषा सभ के बिसेसता हवे। एकरे अलावा अइसन बदलाव कुछ उत्तरी जर्मनिक भाषा सभ में तीनभी तरहदेखे के मिले लें। [[संस्कृत व्याकरण|संस्कृत ब्याकरण]] में संधि बतावलके तीन प्रकार में बाँटल गइल बा: स्वरअच् संधि, व्यंजनहल् संधि आ विसर्ग संधि।
 
==अरथ==
==परिभाषा==
संधि (संस्कृत: सन्धि) शब्द के उत्पत्ती सम् + धि से बतावल जाले। [[पाणिनि]] के ''[[अष्टाध्यायी]]'' में दू तरह के चीज बतावल गइल बा: '''संहिता''' आ संयोग। वर्ण सभ के बहुत निकटता के संहिता कहल गइल बा।{{efn|" सूत्र '''परः संनिकर्षः संहिता"''' अष्टाध्यायी,(अष्टा. 1। 4। 1/4/108.) के लघुसिद्धान्तकौमुदी में व्याख्या कइल गइल बा: ''वर्णानामतिशयितः सन्निधिः संहिता-संज्ञः स्यात्।}}'' संहिताअतिशय सन्निधि यानी नजदीकी के अरथ बतावल जाला कि, दू गो वर्ण सभ के बीच में आधी मात्रा से कम के व्यवधान ना होखे तब एकरा के संहिता कहल जाला।<ref name="भीमसेन">शास्त्री, भीमसेन (2000). ''लघुसिद्धान्तकौमुदी: भैमी व्याख्या''. 4था संस्करण. भैमी प्रकाशन, दिल्ली. pp. 31</ref> संयोग के परिभाषा{{efn|"सूत्र '''हलोऽनन्तरा संयोगः"''' (अष्टा. अष्टाध्यायी,1। 1। 1/1/7.) ''अज्भिरव्यवहिता हलः संयोग-संज्ञाः स्युः'' - लघुकौमुदी।लघुसिद्धांतकौमुदी।}} दिहल जाले कि जब दू गो हलहल् (व्यंजन वर्ण) के बीच स्वर वर्ण न होखे। एही संहिता आ संयोग से संधि होला।<ref name="भीमसेन" />
 
संहिता कब कइल जाय एकरा खाती बिधान बा कि जब एकही पद होखे, धातु आ उपसर्ग (जोड़े) में आ समास में हमेशा संहिता करे के चाहीं, वाक्य में ई वक्ता (लेखक) के मर्जी पर बा कि ऊ संहिता करे या ना करे।
==प्रकार==
 
व्याकरण में संधि के तीन प्रकार बतावल गइल बा:
===स्वर संधि===
जब दू गो स्वर वर्ण एक दुसरे के साथ मेल करें भा जुड़ाव होखे आ उच्चारण में कुछ बदलाव होखे, अइसन संधि के स्वर संधि भा अच् संधि कहल जाला। बाद में स्वर संधि के भी कई गो भेद बतावल जाला जेह में दीर्घ संधि, यण संधि इत्यादि बा।
 
===व्यंजन संधि===
जब दू गो व्यंजन वर्ण आपस में मेल करें तब व्यंजन संधि होला।
 
===विसर्ग संधि===
जब पद के अंत विसर्ग (अः के मात्रा) पर होखे आ ओकरे बाद कवनो दूसर शब्द आवे तब होखे वाला जुड़ाव के विसर्ग संधि कहल जाला।
 
"https://bh.wikipedia.org/wiki/संधि" से लिहल गइल