संधि: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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==संस्कृत में==
===स्वरअच् संधि===
पाणिनीय व्याकरण में [[प्रत्याहार|अच् प्रत्याहार]] के तहत संस्कृत भाषा के वर्णमाला के सगरी स्वर आवे लें। जब दू गो स्वर वर्ण एक दुसरे के साथ मेल करें भा जुड़ाव होखे आ उच्चारण में कुछ बदलाव होखे, अइसन संधि के स्वर संधि भा अच् संधि कहल जाला। बाद में स्वर संधिएकरा के भीहिंदी, कईभोजपुरी गो भेद बतावल जाला जेहआदि में दीर्घस्वर संधि, यण संधि इत्यादि बा। एकरा के '''अच् संधि''' भी कहल जाला काहें कि पाणिनीय व्याकरण में अच् [[प्रत्याहार]] के तहत संस्कृत भाषा के वर्णमाला के सगरी स्वर आवे लें।जाला।
 
अच् संधि के बिधान करे वाला कुछ सूत्र आ उनहन के उदाहरण नीचे दिहल गइल बा:
===व्यंजन संधि===
{| class="wikitable"
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! सूत्र !! अर्थ !! उदाहरण
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| '''इकोयणचि''' (6। 1। 74)|| इक् प्रत्याहार के वर्ण सभ (इ, उ, ऋ, ऌ) के स्थान पर यण् प्रत्याहार के अक्षर (य्, व्, र्, ल्) हो जालें अगर उनहन के बाद अच् यानी कौनों स्वर आवे। || सुधी + उपास्यः = सुद्ध्युपास्यः
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| '''एचोऽयवायावः''' (6। 1। 75)|| एच् (ए, ओ, ऐ, औ) के स्थान पर क्रम से अय्, अव्, आय्, आव् हो जाला अगर उनहन के बाद कौनों स्वर होखे। || हरे + ए = (हर + अय + ए) हरये
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| '''आद् गुणः''' (6। 1। 84)|| अ के बाद कौनों स्वर आवे पर, दुन्नो के स्थान पर गुण (अ, ए, ओ) हो जाला। || उप + इन्द्रः = उपेन्द्रः
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| '''वृद्धिरेचि''' (6। 1। 85)|| अ के बाद एच् (ए, ओ, ऐ, औ) आवे पर, दुन्नो के स्थान पर गुण (आ, ऐ, औ) हो जाला। || कृष्ण + एकत्वम् = कृष्णैकत्वम्
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| '''अकः सवर्णे दीर्घः''' (6। 1। 97)|| अक् (अ, इ, उ, ऋ, ऌ) इनहना के सवर्ण आवे पर, दुन्नो के स्थान पर दीर्घ स्वर (आ, ई, ऊ, ॠ, ॡ) हो जाला। || दैत्य + अरिः = दैत्यारिः
|}
 
 
===व्यंजनहल् संधि===
जब दू गो व्यंजन वर्ण आपस में मेल करें तब व्यंजन संधि होला।
 
"https://bh.wikipedia.org/wiki/संधि" से लिहल गइल