18 फरवरी: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर
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Sanjeev bot (बातचीत | योगदान) |
Gopaljirai (बातचीत | योगदान) →जनम: चैतन्य महाप्रभु (१८ फरवरी, १४८६-१५३४) वैष्णव धर्म के भक्ति योग के परम प्रचारक एवं भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। इन्होंने वैष्णवों के गौड़ीय संप्रदाय की आधारशिला रखी, भजन गायकी की एक नयी शैली को जन्म दिया तथा राजनैतिक अस्थिरता के दिनों में हिंदू-मुस्लिम एकता की सद्भावना को बल दिया, जाति-पांत, ऊंच-नीच की भावना को दूर करने की शिक्षा दी तथा विलुप्त वृंदावन को फिर से बसाया और अपने जीवन का अंतिम भाग वहीं व्यतीत किया। उनके द्वारा प्रारंभ किए गए महामंत्र नाम संकीर्तन का अत्यंत व्याप |
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लाइन 8:
==जनम==
* '''1486 - चैतन्य महाप्रभु''' - वैष्णव धर्म क भक्ति योग क परम प्रचारक एवं भक्तिकाल क प्रमुख कवियों में से एक
==निधन==
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