मकर संक्रांति: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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अमृतमपत्रिका से साभार...
तन-मन को मजबूत करने वाला
महापर्व मकर संक्रांति,
जाने -7 सात कारण
सूर्य एक राशि में एक माह रहते हैं और यह हर महीने राशि बदलते हैं। सूर्य का एक राशि से दूसरे राशि में जाना संक्रमणकाल या संक्रांति कहलाती है।
संक्रांति का अर्थ है -
प्रकृति में परिवर्तन का समय।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर राशि बारह राशियों में दसवीं राशि होती है। सूर्य जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उसे उस राशि की संक्रांति माना जाता है। उदाहरण के लिए यदि सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं तो मेष संक्रांति कहलाती है, धनु में प्रवेश करते हैं तो धनु संक्रांति कहलाती और हर साल
14 या 15 जनवरी को सूर्य मकर में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है।
क्या है सूर्य का उत्तरायण होना --
इस दिन सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करने की दिशा बदलता है, थोड़ा उत्तर की ओर ढलता जाता है। इसलिए इस काल को उत्तरायण भी कहते हैं।
उत्तरायण सूर्य, का शाब्दिक अर्थ है -
'उत्तर में गमन'। उत्तरायण की दशा में पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में दिन लम्बे होते जाते है और राते छोटी | उत्तरायण का आरंभ २१ या २२ दिसम्बर होता है | यह दशा २१ जून तक रहती है | उसके बाद पुनः दिन छोटे और रात लम्बी होती जाती है |
अंधकार से प्रकाश की तरफ चले --
असतो मा सदगमय
तमसो मा ज्योतिर्गमय
मृत्युर्मा अमृतम गमय
ॐ शान्ति! शांति: शान्ति!!
इस भौतिक, आधुनिक युग में हर किसी की जिंदगी मन-मस्तिष्क में पसरा हुआ अन्धकार हमारी उन्नति, सफलता में बाधक है।
मानव जीवन में व्याप्त अज्ञान, संदेह, अंधश्रद्धा, जड़ता, कुसंस्कार, कुबुद्धि आदि अंधकार और अज्ञानता के दाता हैं, जो हमारे मस्तिष्क रूपी कम्प्यूटर के डाटा
को हैंग या खराब करते रहते है, इन्हें समय-समय पर फॉर्मेड करना जरूरी है, क्योंकि इसका सर्वाधिक दुष्प्रभाव हमारे तन और मन पर ही होता है।
तमसो मा ज्योतिर्गमय -
हमें अंधकार, अहंकार और अज्ञानता मिटाकर
अपने अन्दर रोशनी, प्रकाश और ज्ञान का प्रादुर्भाव करना है।
प्रत्येक मानव मन का फर्ज है कि
★ अज्ञान को ज्ञान से,
★ झूठे संदेह को विज्ञान से,
★ द्वेष- दुर्भावना को प्यार की भावना से
★ अंधश्रद्धा को सम्यक्‌ श्रद्धा से,
★ जड़ता को चेतना से और
★ कुसंस्कारों को संस्कार सर्जन द्वारा दूर हटाना है। यही उसके जीवन की
सच्ची संक्रांति कहलाएगी।
शास्त्र कहते हैं -
मानव को अपने मन के संकल्पों को भी बदलना होगा।
शिवःसंकल्पमस्तु :
शिवपुराण -
वैदिक एवं औपनिषदिक आदि धार्मिक ग्रन्थों में कई मंत्र ऐसे हैं जिनमें आत्मिक उत्थान, आत्म ज्ञान, आत्मविश्वास, के गंभीर भाव प्रार्थनाओं के रूप में व्यक्त हैं।
तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु’,
अर्थात हम परम सत्ता एवं प्रकृति रूपी शक्ति से प्रार्थना अथवा कामना करते हैं , कि मेरा मन शान्तिमय विचारों वाला होवे । यह सब हमारे सकंल्पशक्ति से ही सम्भव है।
शिवपुराण में आया है - "शिव" ही संकल्प है और हमारी मजबूत इच्छाशक्ति ही शिव है।
संतों के सदवचन --
सन्त शिरोमणि श्रीमदुवटाचार्य एवं श्रीमन्महीधर
के अनुसार मन्त्र कहता है कि - जो मानव मन व्यक्ति के जाग्रत अवस्था में दूर तक चला जाता है और वही सुप्तावस्था में वैसे ही लौट कर वापस आ जाता है, जो मन, दूर तक जाने की सामर्थ्य, क्षमता रखता है और जो मन सभी ज्योतिर्मयों की भी ज्योति है, वैसा मेरा मन शान्त, शुभ तथा कल्याणप्रद विचारों का होवे।
शिवसंकल्प स्तोत्र --
यजुर्वेद के 34वें अध्याय में उल्लेख है -
येन कर्माण्यपसो मनीषिणो यज्ञे कृण्वन्ति विदथेषु धीरा:।
यदपूर्वं यक्षमन्त: प्रजानां तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु।।
अर्थ ~ जो पुरुष अहंकार रहित होकर, अंधेरे से उभरने के लिए निरन्तर मनन, कर्म करते हुए, जिस मन से कर्मशील, मननशील और धैर्यवान होकर कल्याणकारी और ज्ञानयुक्त व्यवहार वाले कर्मों को करते हैं और समाज में आदर पाते हैं, हे परमात्मा !
वह मेरा मन अच्छे विचारों वाला होवे।
संक्रांति से शान्ति
यह कार्य विचार क्रांति से ही संभव है। क्रांति में हिंसा को महत्व होता है, परंतु संक्रांति में समझदारी, सावधानी तथा धैर्य का प्राधान्य होता है। अहिंसा का अर्थ 'प्रेम करना' है,
अहिंसा परमोधर्मः यानी अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है, जो संक्रांति में तो क्षण-क्षण में तथा कण-कण में प्रवाहित होता हुआ दिखाई देता है। संक्रांति का अर्थ मस्तक काटना नहीं अपितु मस्तक में स्थित अपने विचारों को, अपनी सोच को बदलना है,
कहा भी है-
सोच को बदलने से सितारे बदल जाएंगे !
नजरों को बदलने से नजारे बदल जाएंगे !!
और यही सच्ची विजय है। इसे संकल्प शक्ति और आत्मविश्वास के भरोसे ही जीत जा सकता है।
तिल की तरह बिखरी शक्ति को इकट्ठा करें
मकर संक्रांति पर्व पर तिल का विशेष महत्व है। इस दिन प्रातः सूर्योदय के पहले पूरे शरीर में पिसे हुए तिल लगाकर तथा स्नान करते समय जल में तिल डालकर स्नान करने से तन के सूक्ष्म छिद्र में जमी गन्दगी साफ हो जाती है। कृमि एवं कितनिओं का नाश हो जाता है। तन-मन स्वच्छ व पवित्र होकर
तिल-तिल रोग-विकार, त्रिदोष, पाप-ताप
त्वचा रोग दूर होते हैं। यह प्राचीन भारत का वैज्ञानिक और स्वास्थ्यवर्धक विधान है।
हवन में तिल
तिल हमेशा से ही यज्ञ-हवन सामग्री में प्रमुख वस्तु माना गया है। मकर संक्रांति में तिल खाने से तिलदान तक की अनुशंसा शास्त्रों ने की है। संक्रांति पर देवों और पितरों को कम से कम तिलदान अवश्य करना चाहिए।
अपनापन अपनाने का उत्सव -
तिल जोड़ने का काम करता है, इसलिए सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व है।
मकर उत्सव के निमित्त अपने रिश्ते-नातेदारों, मित्रों और स्नेहीजनों के पास जाना होता है, उनको तिल का लड्डू देकर पुराने मतभेदों को मिटाया जा सकता है। मन के झगड़े-फसादों को दूर हटाकर स्नेह, प्रेम, अपनेपन की पुनः प्रतिष्ठा करनी होती है। तिल के लड्डू में जो घी होता है वह पुष्टिदायक है।
लड्डू की लीला --
मकर संक्रांति पर्व में तिल के लड्डू को विशेष सम्मान प्राप्त है। प्रकृति सभी को ऋतु के अनुसार यानि जिस ऋतु में जिस प्रकार के रोग होने की संभावना होती है, वह उसके मुताबिक औषधि, वनस्पति, फल आदि का निर्माण प्रकृति करती है।
तिल - ठण्ड का मिटाये घमंड --
सर्दी के मौसम में शरीर को अधिक ऊर्जा के साथ ऐसे खाद्य पदार्थ की जरूरत होती है जो शरीर को गर्मी भी दे सके। गुड़ और तिल से बनने वाले खाद्य पदार्थ में ऐसे गुण होते हैं जो शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा व गर्मी का संचार करते हैं।
स्वास्थ्यवर्धक तिल शरीर के लिए है खास, जानें 12 फायदे।
तिल से तन-मन हो प्रसन्न
【1】 जाड़े के मौसम में सख्त ठंड में शरीर के सभी अंग सिकुड़ जाते हैं, रक्त का अभिसरण (ब्लड सर्कुलेशन) मंद या धीमा होने के कारण रक्तवाहिनियाँ शीत के प्रभाव में आ जाती हैं, परिणाम स्वरूप शरीर रुक्ष बनता है यानि तन में रूखापन आने लगता है। छिद्रों में मैल जम जाता है, ऐसे समय शरीर को स्निग्धता की आवश्यकता होती है और तिल में यह स्निग्धता का गुण है।
【2】तिल से तंदरुस्ती --
मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ के लड्डू खाना
स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभप्रद होता है।
तिल के पदार्थ खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ कई गुणों से भी भरपूर होते हैं। तिल में भरपूर मात्रा में खनिज-पदार्थ, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, अमीनो एसिड, ऑक्जेलिक एसिड, विटामिन बी, सी और ई (B, C एवं E) होता है। वहीं खांड यानि गुड़ में सुक्रोज, ग्लूकोज और खनिज तरल पाए जाते हैं।
【3】तिल से फेफड़ों के रोग मिटते हैं --
तिल के लड्डू फेफड़ों के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। तिल फेफड़ों में विषैले पदर्थों के प्रभाव को करने का भी काम करता है। फेफड़े हमारे शरीर का अहम हिस्सा हैं, जो हमारे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करते हैं।
【4】तिल से कैल्शियम की कमी हो दूर --
तिल के लड्डू खाने से शरीर को भरपूर मात्रा में कैल्शियम मिलता है। तिल की तासीर गर्म होने के कारण ये हड्डियों के लिए बहुत गुणकारी एवं फायदेमंद होता है। सर्दी के दिनों में इसे खाने से शरीर को ताकत मिलती है। इम्युनिटी बढ़ती है। साथ में ऑर्थोकी गोल्ड बास्केट हड्डियों की मजबूती के लिए बेजोड़ दवा है।
【5】उदर का उद्धार --
त्वचा के लिए गुणकारी तिल में फाइबर अधिक मात्रा में होता है जो पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है। तिल का लड्डू पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसे खाने से एसिडिटी में भी राहत मिलती है। तिल-गुड़ के लड्डू गैस, कब्ज जैसी बीमारियों को भी दूर करने में मदद करते हैं। तिल के लड्डू भूख बढ़ाने में भी मदद करते हैं। अमृतम जिओ गोल्ड माल्ट भी पेट की 50 से अधिक बीमारियों को दूर करने में सहायक है।
【6】बलं-सौख्यं च तेजसा -
अमृतम आयुर्वेदिक ग्रन्थ भावप्रकाश निघण्टु,
भेषजयरत्नावली के अनुसार तिल का का निरन्तर सेवन से बल, बुद्धि, तेज तथा शरीर को सुख मिलता है। तिल का लड्डू एनर्जी से भरपूर होता है। ये शरीर में शक्ति, ताकत, ऊर्जा एवं खून की मात्रा को भी बढ़ाने में मदद करता है। साथ में अमृतम गोल्ड माल्ट या फिर, अमृतम च्यवनप्राश नियमित लेने से बुढापा जल्दी नहीं आता।
【7】बाल हों घने, काले और मालामाल --
सूखे मेवे-मसले और देशी घी से बनाए गए तिल के लड्डुओं को खाने से बालों और स्किन में चमक आती है। बालों का झडना, टूटना बन्द करने में सहायक है। बालों की 14 प्रकार के रोगों से रक्षा करने हेतु
"कुन्तल केयर हर्बल हेयर बास्केट"
100 फीसदी आयुर्वेदिक ओषधि है। यह बास्केट 72 जड़ीबूटियों और ओषधियों से निर्मित है।
【8】ब्रेन की शक्ति बढ़ाये --
तिल-गुढ़ के लड्डू खाने से शारीरिक कमजोरी, तो दूर होती ही है, साथ ही मानसिक स्वास्थ्य और दिमागी कमजोरी भी ठीक करता है। यह डिप्रेशन और टेंशन से निजात दिलाने में मदद करता है।
ब्रेन की कोशिकाओं, नाड़ी-तन्तुओं को ऊर्जावान बनाने के लिए ब्रेन की गोल्ड टेबलेट एक बेहतरीन हर्बल सप्लीमेंट है।
【9】दिल को करे दुरुस्त,
पोषके तत्वों से लबालब तिल का तेल हृदय को भी स्वस्थ रखता है। यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और रक्तचाप सामान्य रखता है। इसमें आयरन भी अच्छी मात्रा में होता है जो एनीमिया जैसी बीमारियों को दूर रखता है। शरीर में खून की कमी को दूर करने में अमृतम गोल्ड माल्ट आयुर्वेद की रक्त वृद्धि करने वाली प्रसिद्ध जड़ीबूटियों से निर्मित है।
【10】जोड़ों को जाम होने से बचाये --
रक्त के संचार की कमी से शरीर जाम होने लगता है, जिससे तन अकड़ने लगता है। तिल से निर्मित पदार्थ के खाने से जोड़ों के दर्द और सूजन में अत्यंत फ़ायदेमंद होता है क्योंकि इसमें मौजूद कॉपर सूजन और दर्द से राहत दिलाता है।
88 तरह के वात रोगों (अर्थराइटिस, थायराइड, जॉइंट पेन आदि) से स्थाईआराम पाने के लिए ऑर्थोकी गोल्ड बास्केट अपना सकते हैं। एक माह तक लगातार लेने से बहुत राहत मिलती है। यह वातनाशक हर्बल योग से निर्मित है।
【11】अभ्यङ्ग से हों मस्त-मलङ्ग --
प्रत्येक शनिवार तिल तेल की मालिश से शरीर की शिथिल नाडियां क्रियाशील हो जाती हैं। खूबसूरत और चमकदार त्वचा/स्किन के लिए मालिश करना बहुत आवश्यक है। मालिश से बुढापे के लक्षण नहीं पनपते। नियमित मालिश के लिए काया की हर्बल मसाज ऑयल एक एंटीएजिंग यानी उम्ररोधी तेल है। इसे तिल तेल, चनंदण्डी, कुम-कुमादि तेलों से
बनाया गया है। चमकदार स्किन और दाग-धब्बों में कमी फ़ायदेमंद है।
【12】तिल और गुड़ क्यों हैं चमत्कारी
तिल में तेल की मात्रा अधिक होती है। तिल के उपयोग से शरीर के अंदरूनी हिस्सों में पर्याप्त मात्रा में तेल पहुंचता है, जिससे हमारे शरीर को गर्माहट आती है। इसी प्रकार गुड़ की तासीर भी गर्म होती है। तिल व गुड़ से निर्मित पदार्थ व व्यंजन जाड़ेके मौसम में हमारे तन-मन में जरूरी ऊर्जा-एनर्जी का आवागमन होने लगता है, जिससे हम क्रियाशील
बने रहते हैं। मकर संक्रांति के अवसर पर तिल व गुड़ के व्यंजन प्रमुखता से इसी वजह से बनाने और खाने का परम्परागत विधान हैं।
जानें - जाड़े के दिनों में क्यों लाभकारी हैं-
तिल से बनी चीज़ें।
तिल में कॉपर, मैग्नीशियम, ट्राइयोफान, आयरन, मैग्नीज, कैल्शियम, फास्फोरस, जिंक, विटामिन बी 1 और रेशे प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। एक चौथाई कप या 36 ग्राम तिल के बीज से 206 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। तिल में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते, जो शरीर को बैक्‍टीरिया मुक्‍त रखता है।
गुड़ और तिल के सेवन से जाड़ों में पाएं
हेल्दी बाल और सुंदर स्किन।
तिल से होने वाले फायदे
तिल हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मददगार है। कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि तिल में पाया जाने वाला तेल हाई ब्लड प्रेशर को कम करता है एवं हृदय रोगों को दूर करने में भी मददगार है। तिल में मौजूद मैग्निशियम डायबिटीज के होने की संभावना को भी दूर करता है।
1 - सर्दी में सुबह के नाश्ते में स्पेशल गुड़ का
पराठा खाने से दूर रहती हैं कई बीमारियां।
2 - खाली पेट गुड़ का पानी पीने से होता है, शरीर पर चमत्कारी असर। गुड़ के बारे में बहुत सी अनभिज्ञ जानकारी के लिए अमृतमपत्रिका पढ़े
मकर संक्रांति में खिचड़ी और तिल-गुड़ जैसे पकवान हेल्थ के लिए कैसे हैं फायदेमंद ?
मकर संक्रांति पर खिचड़ी का महत्व -
खिचड़ी खाने के फायदे मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस समय शीतलहर चल रही होती है। शीत ऋतु में अकड़न-जकड़न, ठिठुरन से बचाव और तुरंत उर्जा पाने के ल‍िहाज से खिचड़ी को बेहतरीन भोजन (डिश) माना जाता है क्योंकि इसमें नए चावल के साथ, उड़द की दाल, अदरक, कई प्रकार की गर्म तासीर वाली
सब्जियों का प्रयोग किया जाता है।
तमसो मा ज्योतिर्गमय'
अंधकार में से प्रकाश की ओर प्रयाण करने की वैदिक ऋषियों की प्रार्थना इस दिन के संकल्पित प्रयत्नों की परंपरा से साकार होना संभव है। कर्मयोगी सूर्य अपने क्षणिक प्रमाद को झटककर अंधकार पर आक्रमण करने का इस दिन दृढ़ संकल्प करता है। इसी दिन से अंधकार धीरे-धीरे घटता जाता है। मकर संक्रांति के दिन से हमें कोई भी एक संकल्प पूरे साल के लिए अपनाकर उसे पूरा करने का प्रयास करना चाहिए।
मकर संक्रांति उत्साह से भरने वाला वैदिक उत्सव है। प्रकृति के कारक के तौर पर इस पर्व में सूर्य देव को पूजा जाता है, जिन्हें शास्त्रों में भौतिक एवं अभौतिक तत्वों की आत्मा कहा गया है।
वैदिक परम्परा के मुताबिक --
रवे: संक्रमणं राशौ संक्रान्तिरिति कथ्यते। स्नानदानतप:श्राद्धहोमादिषु महाफला।।
नागरखंड (हेमाद्रि, काल, पृष्ठ 410);
संक्रान्त्यां पक्षयोरन्ते ग्रहणे चन्द्रसूर्ययो:। गंगास्नातो नर: कामाद् ब्रह्मण: सदनं व्रजेत्।। भविष्यपुराण (वर्ष क्रिया कौमदी., पृष्ठ 415)।
तिलपूर्वमनड्वाहं दत्त्व।
रोगै: प्रमुच्यते।। शिवरहस्ये।
इस दिन कहीं खिचड़ी तो कहीं 'चूड़ादही'
का भोजन किया जाता है तथा तिल के
लड्डू बनाये जाते हैं।
तिल तिल के पाप धोने वाला इस पर्व में इसलिये तिल का महत्व ज्यादा है। क्योंकि
हजारों दाने तिल के एक साथ मिलाकर लड्डू बनाने का मतलब है कि इसके खाने से तिल जैसी बिखरी शक्ति शरीर में ही समाहित हो जाए।
और शक्ति का शक्ति का एहसास होने लगे।
संक्रान्ति के समय जाड़ा होने के कारण तिल जैसे पदार्थों का प्रयोग स्वास्थ्यवर्धक होता है।
मानसिक शान्ति, बिगड़े, अधूरे काम बनाने और उन्नति के लिए के लिए करना चाहिए ये तीन काम
१- ग्रन्थ-पुराण और वेद कहते हैं -
मकर संक्रांति पर सूर्य को जल जरूर अर्पित करें, इसे सूर्य को अर्ध्य देना कहा जाता है।
२- एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरकर, उसमें थोड़ा सा केशर, चन्दन, हल्दी, गुड़, सप्तधान्य, पुष्प और गेंहू डालकर सूर्य की तरफ मुहं करके "
ॐ सूर्याद नमः च नमः शिवाय"
कहकर अर्पित करने से मन शांत हो जाता है।
३- पुरानी मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति सूर्य की उपासना का दिन है। इस दिन सूर्य देव के निमित्त विशेष पूजन करना चाहिए।
उसकी किरणें स्वास्थ्य और शांति को बढ़ाती हैं।
सूर्य मान-सम्मान का कारक ग्रह है। सूर्य की कृपा से समाज और घर-परिवार में सम्मान मिलता है।
अमृतम फार्मास्युटिकल्स
परिवार की तरफ से सभी देश-दुनिया के
वासियों को अन्तर्मन से शुभकामनाएं।
 
{{for2|पकवान|[[खिचड़ी]]|खगोलीय घटना|[[उत्तरी संक्रांति]]}}{{Infobox holiday
|holiday_name = मकर संक्रांति<br>खिचड़ी
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|relatedto = माघी, माघ बिहू, पोंगल
}}
'''खिचड़ी''' या '''मकर संक्रांति''' हिंदू लोगन क प्रमुख पर्व ह। मकर संक्रान्ति पूरा [[भारत]] आ [[नेपाल]] में कौनों न कौनों रूप में मनावल जाला। माघ मास में जब सूरज मकर राशि में आवेला तबे इ  पर्व  मनावल जाला। इ त्योहार जनवरी महिना की चौदहवां या पन्द्रहवां दिनें पड़ेला काहें कि एही दिन के सूर्य धनु राशि के छोड़के [[उत्तरी संक्रांति|मकर राशि में प्रवेश]] करेला।<ref name="Tumuluru2015p30">{{cite book|author=Kamal Kumar Tumuluru|title=Hindu Prayers, Gods and Festivals|url=https://books.google.com/books?id=b2iyCAAAQBAJ&pg=PT30 |year=2015|publisher=Partridge|isbn=978-1-4828-4707-9|page=30}}</ref><ref name="Melton2011p547">{{cite book|author=J. Gordon Melton|title=Religious Celebrations: An Encyclopedia of Holidays, Festivals, Solemn Observances, and Spiritual Commemorations |url=https://books.google.com/books?id=KDU30Ae4S4cC&pg=PA547 |year=2011|publisher=ABC-CLIO|isbn=978-1-59884-205-0|pages=547–548}}, '''Quote:''' "Makar Sankranti is a festival held across India, under a variety of names, to honor the god of the sun, Surya."</ref> मकर संक्रान्ति की दिन से ही सूर्य क उत्तरायण गति भी शुरू हो जाला। एहीसे ए पर्व के कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहल जाला। तमिलनाडु में एके पोंगल नामक उत्सव की रूप में मनावल जाला जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में एके खाली संक्रांति कहल जाला।<ref name="Drik Panchang">http://www.drikpanchang.com/sankranti/makar-sankranti-date-time.html</ref>
 
==मकर संक्रान्ति क अलग-अलग रूप==