अमीर खुसरो: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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== सुरुआती समय ==
अमीर सैफ़ुद्दीन आ बीबी दौलतनाज़ के कुल चारि गो संतान भइल लोग: तीन गो बेटा (जे में से खुसरो भी एगो रहलें) आ एक ठो बेटी। अमीर सैफ़ुद्दीन महमूद 1260 ई. में गुजर गइलें, जब खुसरो बस आठे बरिस के रहलें। हालाँकि, एकरा बावजूद खुसरो पर अपना बाबूजी के अतना परभाव रहल कि ऊ [[इस्लाम]] आ [[सूफ़ी]] ज्ञान हासिल कइलेन आ [[तुर्की भाषा|तुर्की]], [[फ़ारसी]] आ [[अरबी]] भाषा में महारत पवलें। उनुके कबिता में बेर-बेर, आ उनुके जिनगी में, ऊ इहे जोर दे के कहें कि ऊ भारत के तुर्क (''तुर्क-ए-हिंदुस्तान'') हवें। अपना जनमभूँई खातिर प्रेम उनके पूरा रचना सभ में झलके ला। फ़ारसी के गीतकार शीराजुल्ला के हाफ़िज़ खुसरो के ''तूती-ए-हिंद'' (हिंदुस्तान के मैना, गीत गावे वाली चिरई) कहलें।
 
खुसरो तेज जेहन के लरिका रहलें। नवे बरिस के उमिर में ऊ शायरी सीखे आ लिखे लागल रहलें। उनुके पहिला दीवान (शायरी के किताब), ''तुह्फ़त-उस-सिग़र'' (लरिकाईं के तोहफ़ा), जेह में उनुके सोरह से अठारह बरिस के उमिर के बीचा के रचना रहल, 1271 ई. में संकलित भइल। 1273 में, जब खुसरो बीस बरिस के रहलें, उनुके बाबा के निधन भ गइल जे 113 बरिस के उमिर के रहलें।
 
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== संदर्भ ==
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[[श्रेणी:भारत के लोग]]