पन्ना बनावल गइल "महेन्दर मिसिर के जनम 16 मार्च, 1865 के छपरा जिला के कांही मिश्रवलिया गांव में भइल रहे । बहुमुखी प्रतिभा के धनी महेन्दर मिसिर पुरुवी शैली यानी पूर्वी गीतन के शैली के जनक हई..." के साथ
महेन्दर मिसिर के जनम 16 मार्च, 1865 के छपरा जिला के कांही मिश्रवलिया गांव में भइल रहे । बहुमुखी प्रतिभा के धनी महेन्दर मिसिर पुरुवी शैली यानी पूर्वी गीतन के शैली के जनक हईं ।
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बचपने से महेन्दर मिसिर जी के सवख पहलवानी आ घोड़सवारी में रहे । महेन्दर मिसिर बचपन से जीवन के अंतिम समय तक अपने बनावल गीतन के गइनी। जेतने अच्छा गीत के रचना करत रहनी ओतने अच्छा गावत भी रहीं, बजावत भी रहीं । कई गो विद्या में माहिर महेन्दर बाबा एगो महान स्वतंत्रता सेनानी रहीं । क्रांतिकारी लोगन आ गरीब लोगन के मदद में उहां के हाथ हमेशा खुलल रहे । आ एह खातिर उहां के नोट भी छपनी सिक्का भी बनवनी आ ऐह तरे के काम कईनी जवन केहु ना कइल । उहां के ओह घरी नोट छपनी जब भारत में नोट ना छापात रहे ओह घरी भारत में नोट लन्दन से छाप के आवत रहे । महेन्द्र मंगल के रचना 1920 के आस पास में कइनी लेकर भूमिका राम नरेश त्रिपाठी जी लिखले बानी उहे राम नरेश त्रिपाठी जी जिनकर लिखल भजन आजो गावल जाला - हे प्रभु आनन्द दाता ज्ञान हमको दीजिए - ई उहे महेन्दर मिसिर जी हईं जिनका से 1943 में शक्सनहोजेन कैम्प के गेस्टापो प्रमुख बर्नाड क्रूगर प्रभावित भइल आ सिख लेके अंगरेजन के एतना नोट छपलस की ओकर आजादी के रास्ता साफ हो गईल । इ उहे महेन्दर मिसिर हवन जे 1917 में प्रथम विश्व युद्ध के समय जब अकाल पड़ल रहे तब 90 हजार गिन्नी बंटवा के लोग के भूखमरी से बचवलन । आ ओह घड़ी एगो गिन्नी के दाम 15 रुपया रहे । भोजपुरी के इ प्रथम महाकिव भोजपुरी के प्रथम महाकाव्य अपुर्व रामायण के रचना कइलन । अइसन कवनो राग नइखे जवना पर महेन्दर मिसिर के रचना ना भइल । ठुमरी आ पुरुवी के सम्राट महेन्द मिसिर नारी सम्मान आ समाज के शोषित दलित वंचित सभ लोगन के सुरक्षा प्रदान कइलन । हनुमान जी के बाद राम जानकी के दर्शन मिलल आ जेल में रामायण के रचना भइल । 26 अक्टूबर 1946 के भीड़ के सामने शिवलिंग के अपना पांजां में धइले बैकुंठ प्रस्थान कइनी ।