आधुनिक भोजपुरी साहित्य के एकदम सुरुआती समयबेर के नवजागरन काल कहल गइल बा। एह समयबेर के कवि लोग में [[तेग अली 'तेग']], महेन्दर मिसिर, भिखारी ठाकुर, [[हीरा डोम]], बुलाकी दास, दूधनाथ उपाध्याय, आ रघुवीरनारायण के नाँव आवेला। तेग अली के रचना "बदमास दर्पण" खास बनारसी भोजपुरी के एगो गजबे उदाहरण देखावे वाली रचना बाटे। महेन्दर मिसिर, मिश्रावलिया गांव, छपरा के रहलें आ उनकर लिखल [[पुरबी]] एगो जमाना में पुरा इलाका में चलनसार रहे आ आजु ले कहीं कहीं सुने के मिल जाला। भिखारी ठाकुर के रचना गीत आ गीतनाटक के रूप में रहे। उनुकर सभसे परसिद्ध रचना [[बिदेसिया]] बा आ राहुल बाबा उनुकाहूंका के भोजपुरी के शेक्सपियर के उपाधि दिहलें।
एकरा बाद के पीढ़ी के लोगन में कविकबि [[मोती बी ए]], मनोरजंन दादा, [[भोला नाथ गहमरी]], [[विवेकी राय]] नियर लोग बा।