गोपालगंज जिला भारत के बिहार राज्य के 39 गो जिला सभ में से एगो जिला बा। ई जिला सारण प्रमंडल के अन्तर्गत आवेला, जेकर जिला मुख्यालय गोपालगंज शहर में स्थित बा। एह जिला में पर्यटन दर्शनीय स्थल के रूप् में थावे दुर्गा मंदिर, घोडा घाट दुर्गा मंदिर,सिंहासनी दुर्गा मंदिर,बंगलामुखी दुर्गा मंदिर,शिव मंदिर,रामबृक्ष धाम,बुदध मंदिर,हनुमान मंदिर मशहुर बा । एह जिला में मुख्यरूप से भोजपुरी आ गौण रूप से हिंदी बोलल जाला।

गोपालगंज
गोपालगंज जिला के बिहार में लोकेशन
गोपालगंज जिला के बिहार में लोकेशन
देशभारत
राज्यबिहार
मंडलसारन
मुख्यालयगोपालगंज
Population
 (2011)
 • कुल2,558,037
जनसंख्या आँकड़ा
 • साक्षरता67.04 प्रतिशत
 • लिंगानुपात1021
प्रमुख हाइवेNH-28
Websiteसरकारी वेबसाइट

इतिहास संपादन करीं

समृद्ध इतिहासी पृष्ठभूमि औरी शानदार संस्कृति वाला एगो खूबसुरत जिला के रूप में विख्यात बा- गोपालगंज। आपन बहादुरी औरी लोगन के आजादी से प्यार करे वाला मल्ल वंश के नांव भी एह गोपालगंज से जुड़ल बा। प्रागैतिहासिक काल में, गोपालगंज नेपाल देश के हिस्सा रहे। खाली इहे ना नेपाल राजतंत्र सरयू नदी के किनारे तक ले रहे, जवन आज सीवान जिला कहलाला। सीवान के मतलबे होला- सीमा। 1875 ई. तक गोपालगंज एगो छोट इलाका रहे, जवन ओही साल में पुरनका सारण (एकरा अन्तर्गत वर्तमान में गोपालगंज, सीवान औरी छपरा जिला आवेला) जिला के एगो अनु्मंडल बनल। 02 अक्टुबर, 1973 के सारण से अलग होखे एगो स्वतंत्र जिला बनल।

पुरनका सारण जिला के इतिहास ही गोपालगंज के इतिहास भी ह। संयुक्त सारण जिला आर्य सभ्यता के आवेवाला मुख्य रास्ता में से एगो ह।

वैदिक साहित्य में संरक्षित एगो परंपरा के अनुसार, विदेह लोग सरस्वती नदी के पूरब की ओर चलल शुरु कइले औरी चलत-चलत गंडक नदी के किनारे आ गइल लोग। ओहिजा पहुंचला पर आग के देवता "अग्नि" ओह लोगन से कहले कि एह जलधारा के पूरब में रउआ सभे बस जाईं औरी एह जगह के स्वर्गमय बना दीं। अग्नि देवता के बात मान के विदेह लोग नदी के दूसरा तरफ यानि कि पूरबी किनारे पर जाके एगो शक्तिशाली राज्य के स्थापना कइल लोग ; एहु बात के संभावना भी व्यक्त कइल जाला कि अधिकांश लोग तो गंडक पार कर लिहल लोग लेकिन ओहिमें से कुछ लोग पुरनका सारण (जवन रास्ता में ही पड़त रहे) में ही रुक गइले।

भूगोल संपादन करीं

गोपालगंज जिला भूगोलीय रूप से 26° 12 से 26° 39 उत्तरी अक्षांश औरी 83° 54 से 84° 55 पूरबी देशांतर में स्थित बा। एह जिला के कुल क्षेत्रफल 2033 वर्गकिलोमीटर औरी कुल जनसंख्या इक्कीस लाख उनचास हजार तीन सौ तैंतालिस [2,149,343 (2001 के जनगणना के अनुसार)]

चौहद्दी संपादन करीं

उत्तर: पूरबी (मोतिहारी) और पश्चिमी चंपारण (बेतिया) जिला
दक्खिन: सिवान औरी सारण जिला
पूरब: पूरबी चंपारण और मुजफ्फरपुर जिला
पश्चिम: उत्तर प्रदेश

मुख्य शहरी केंद्र संपादन करीं

गोपालगंज, मीरगंज, बरौली, कटेया, विजयीपुर, कुचायकोट, विनोद खरेंया, सासामुसा, थावे, माँझागढ़, महम्मदपुर, दिघवा-दुबौली, ऊँचकागाँव, फुलवरिया, हथुआ, भोरे, बड़कागाँव।

मौसम/जलवायु संपादन करीं

गोपालगंज के जलवायु विविधतापूर्ण हवे। गर्मी के मौसम में ई जिला बहुते गर्म आ शुष्क हो जाला। खूब जोर से लू चले लागेला औरी तापमान कबो-कबो 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाला। मानसून के समय में लगभग 500 मिमी तक बारिश होवेला, जवना के चलते जाड़ा के मौसम में तापमान ठीक-ठाक रहेला (हालांकि, ग्लोबल वार्मिंग के चलते गर्मी और जाड़ा वर्तमान समय में जादा ही पड़ रहल बा)। एह जिला में औसत वर्षा लगभग 290 मिमी होला, औरी तापमान 10 से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेला।

जनसांख्यिकी संपादन करीं

2001 के जनगणना के अनुसार: कुल जनसंख्या: 2,149,343 (राज्य के जनसंख्या के 2.59%)
जनसंख्या घनत्व: 1057
पुरूष: 1,072,151 (49.89%)
औरत: 1,077,192 (50.12)
शहरी जनसंख्या: 130,536 (6.07%)
गँवई जनसंख्या: 2,018,807 (93.93%)
अनुसूचित जाति के प्रतिशत: 12.43%
अनुसूचित जनजाति के प्रतिशत: 0.29%
लिंग अनुपात: 1005

कृषि संपादन करीं

गोपालगंज में मुख्य रूप से ऊँख (गन्ना), दलहन, धान, गेहूँ और विभिन्न प्रकार के तरकारी (सब्जी) के उत्पादन होला। बागवानी भी होखेला किंतु बहुत ही सीमित रूप से। इहाँ मुख्य रूप से ऊँख के उत्पादन होखला के कारण कई गो चीनी मिल बाड़ी सन, जेहिमे गोपालगंज शहरिया में स्थित विष्णु सुगर मिल सबसे प्रमुख बा। एकरा अलावे कई गो कोल्ड स्टोरेज भी बाड़ी सन।

शिक्षा संपादन करीं

कुछ साल पहिले तक त गुणात्मक शिक्षा के क्षेत्र में गोपालगंज के कवनो ज्यादा नाम ना रहे। लोग आपना बचवा सभे के आगे पढ़ावे के खातिर दिल्ली, इलाहाबाद, पटना वगैरह जगहन पर भेज देत रहे लोग। हालांकि अभियो स्थिति में कवनो ज्यादा सुधार नईखे, लेकिन पहिले से स्थिति बेहतर बा। वर्तमान में एहिजा स्थित विद्यालय/महाविद्यालय में से अधिकांश सरकार द्वारा चलावल जाला। कुछ स्कूल निजी ट्रस्ट और व्यक्ति द्वारा भी संचालित बाटे। लगभग सारा स्कूल या त केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) या बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से जुड़ल बाड़ल सन। कहे खातिर त अधिकांश निजी विद्यालय अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देवे के दावा करेलन सन, लेकिन वास्तविकता एहिसे कोसो दूर बा। सरकारी विद्यालय में से अधिकांश के माध्यम हिंदी बा। दसवीं तक के पढ़ाई के बाद अधिकांश लईका-लईकी इंटरमीडिएट के पढ़ाई करे खातिर कला, विज्ञान में से ही कवनो एगो मुख्य रूप से चुनेला। वाणिज्य के पढ़ाई के एहिजा बहुत सही माहौल औरी सुविधा उपलब्ध नईखे। गोपालगंज मुख्य रूप से माध्यमिक स्तर तक के शिक्षा खातिर सही बा। एह स्तर तक के स्कूलन में भी.एम.उच्च विद्यालय, डी.ए.वी उच्च विद्यालय, केन्द्रीय विद्यालय (वर्तमान में ई गोपालगंज शहर के भी.एम.उच्च विद्यालय के प्रांगण में स्थित बा), सैनिक स्कूल, गोपालगंज (ई हथुआ में स्थित बा), जवाहर नवोदय विद्यालय औरी डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल (थावे में स्थित) प्रमुख बाड़ी सन। एह जिला में लगभग 290 प्राथमिक विद्यालय, 100 माध्यमिक विद्यालय, 08 उच्चचर माध्यमिक विद्यालय, 05 महाविद्यालय, 01 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और 01 पॉलिटेक्नीक महाविद्यालय बाटे। स्नातक-स्तरीय शिक्षा के बादा आगे पढ़ाई करेके खातिर लईकन के बाहर जाएके पड़ेला।

परब-त्यौहार संपादन करीं

एह जिला के मुख्य पर्व पूरा बिहार के तरह छठ पर्व ह। कातिक के महीना में होखेवाला छठ के धूमधाम औरी मान्यता त एहिसे पता चल जाला कि बिहार जाए वाली कवनो गाड़ी में तीन महीना पहिलहि सीट आरक्षित हो जाला। औरी जे टिकट ना करा पवले होला उ केहु तरह से भी जाए के मन बना ले ला। बाहर काम करे वाला मनई भले साल में कबो घर ना जा पावे लेकिन छठ में जरुरे घर जाए के कोशिश करेला। एकरा अलावे Eid , दीवाली, गोधन-पूजा, होली, रक्षा-बंधन, राम-नवमी, दुर्गा-पूजा (अक्टूबर-नवंबर) वगैरह सगरे पर्व बहुते धूम-धाम से मनावल जाला। रक्षा-बंधन दिन गोपालगंज शहरिया में महावीर अखाड़ा के जुलूस त देखले बनेला।

पर्यटन स्थल संपादन करीं

थावे संपादन करीं

गोपालगंज जिला मुख्यालय से मात्र छः किलोमीटर के दूरी पर सिवान जाएवाला राजमार्ग पर थावे नाम के जगहा बा । ओहिजा माई थावेवाली[1] के बहुते पुरान मंदिर बा। माई थावेवाली के सिंहासिनी भवानी, थावे भवानी भा रहषु भवानी ओ कहल जाला। चईत के महीना में एहिजा बहुते बड़हन मेला लागेला। मंदिरे के बगल में एगो बहुत ही बड़हन पेड़ बा, जवना के अबले वनस्पतीय वर्गीकरण नईखे हो पावल।

देशो-विदेश में रहेवाला लोग जब साल-दूसाल पर अपना घरे आवेला तब ऊ थावेवाली माई के दर्शन करे जरुर आवेला।. बाकिर अफ़सोस एह बात के बा कि एतना महातम के बावजूद एह स्थान के सही तरीका से विकास नईखे भइल। आम जनता आ प्रशासन के मिलजुल के एह स्थान के समुचित विकास के कोशिश करे के चाहीं जेहसे कि माई के स्थान विश्व का मानचित्र पर एगो महत्बपूर्ण दर्शनीय जगह बन जावे।

दिघवा दुबौली संपादन करीं

गोपालगंज से 40 किलोमीटर दक्खिन-पूरब तथा छपरा से मशरख जाए वाली रेल लाईन पर 56 किलोमीटर उत्तर में दिघवा-दुबौली एगो जगह बा, जहांपिरामिड के आकार के दुठो टीला बा। अईसन मानल जाला कि एकर निर्माण एहिजा शासन कर रहल चेर राजा लोग बनवले रहे।

हुस्सेपुर संपादन करीं

गोपालगंज से 24 किलोमीटर उत्तर-पछिम में झरही नदी के किनारे हथुआ महाराजा के बनवावल किला अब खंडहर हो गइल बा। ई गाँव पहिले हथुआ नरेश के गतिविधियन के केंद्र रहे। किला के चारु ओरी बनल खड्डा अब भर चुकल बा। किला के सामने बनल टीला हथुआ राजा के मेहरारु द्वारा सती होखे के गवाह बा।

गणेश स्थान मांझा संपादन करीं

गोपालगंज से 26 किमी पछिम में भोरे-कटेया रोड पर स्थित एह गांव के महिमा भगवान गणेश के प्राचीन मंदिर के चलते बा। जहां हर बरिस माघ के चौथ से एक महीना तक बड़हन मेला लागेला। आसपास ही ना बल्कि दूरदराज के इलाकन में भी एह मंदिर के महात्तम एतना बा कि पूरा माघ भर लोग एहिजा आवेला। लकड़ी के सामान खातिर भी इहां लागे वाला मेला के बहुते प्रसिद्धी बा।

विनोद खरेंया संपादन करीं

गोपालगंज से 21 किलोमीटर पछिम में इ एगो छोटहन गाँव बा, जहाँ दुर्गा माई के एगो बड़ा निमन मंदिर बनल बाटे।

इहो देखल जाय संपादन करीं

संदर्भ संपादन करीं