प्राकृतिक पर्यावरण (अंगरेजी:Natural environment) प्राकृतिक रूप से पावल जाए वाली सगरी जिंदा आ बेजान चीजन के एकट्ठा रूप हवे। मने कि अइसन प्राकृतिक दसा जेह में आदमी क हस्तक्षेप बहुत कम भइल होखे। पूरा ब्रह्मांड प्राकृतिक बा, बाकी ई शब्द अकसर पृथ्वी खातिर इस्तमाल कइल जाला, या पृथ्वी के कौनों खास इलाका खातिर। एह तरह के पर्यावरण में पृथ्वी पर पावल जाए वाली सगरी जीव सभ के प्रजाति, चट्टान, जलवायु, मौसम आ अन्य प्राकृतिक संसाधन सभ (आ इनहन के आपसी क्रिया-प्रतिक्रिया) के शामिल कइल जाला जेकरा से मनुष्य के जीवन संभव बा आ जवना पर मनुष्य के सगरी वर्तमान आर्थिक गतिबिधि सभ मूल रूप से निर्भर बा।[1]

आस्ट्रेलिया में एगो झरना जहाँ बहुत पर्यटक लोग जाला बाकी बेहतर मैनेजमेंट के कारण इहाँ के प्राकृतिक दसा सुरक्षित बा।
दीमक सभ आपन रहे खातिर बड़हन टीला बना देलें, बाकी ऊ आदमी ना हवें आ उनहन के ई शहर प्राकृतिक मानल जाला।

प्राकृतिक पर्यावरण के दू गो पहलू बा:

  • इकोलॉजिकल इकाई जवन प्राकृतिक सिस्टम के रूप में बिना मनुष्य के बहुत हस्तक्षेप के मौजूद होखें। एह में सगरी जीव, सूक्ष्मजीव, बनस्पति, पृथ्वी के चट्टान, माटी, वायुमंडल आ प्राकृतिक घटना सभ आ जाला।
  • सब जगह पावल जाए वाला प्राकृतिक संसाधन आ भौतिक घटना जिनहन के कौनों सीमा में नइखे बाँटल गइल। एह में जलवायु, हवा, पानी, एनर्जी, रेडियेशन, बिजली के चार्ज आ चुंबकत्व नियर चीज सामिल कइल जा सकत बाटे। मनुष्य के आर्थिक क्रिया मूल रूप से एही प्राकृतिक चीजन पर निर्भर बा।

प्राकृतिक पर्यावरण के बिपरीत, मनुष्य के बनावल पर्यावरण बा। पृथ्वी के बहुत सारा इलाका में मनुष्य अपना गतिबिधि से मूल प्राकृतिक दसा सभ के एतना बदल दिहले बा, जइसे कि खेती खातिर या शहर बसावे खातिर, कि अब उहाँ के प्राकृतिक पर्यावरण बदल के मनुष्य-निर्मित पर्यावरण बन गइल बाटे। इहाँ तक कि बहुत मामूली बुझाए वाला बदलाव, जइसे कौनों रेगिस्तानी इलाका में माटी के देवाल आ छान छप्पर डाल के घर बना लिहल भी आसपास के पर्यावरण के आर्टिफिशियल पर्यावरण में बदल देला, ऊ प्राकृतिक ना रहि जाला। हालाँकि, बहुत सारा जियाजंतु आपन घर बनावे लें आ बहुत बड़ आकार के रचना भी क देलें, उनहन के कइल बदलाव प्राकृतिक पर्यावरण के हिस्सा मानल जाला।

वास्तव में पूर्ण रूप से प्राकृतिक पर्यावरण पृथ्वी पर साइदे कहीं मिले, आ कौनों भी जगह के प्राकृतिकता 100% प्राकृतिक से 0% प्राकृतिक के बीच कहीं होला। सटीक तरीका से कहल जाय तब प्राकृतिक पर्यावरण के चीजन के एह तरीका से देखल जा सके ला कि इनहन के प्राकृतिकता मनुष्य के कामकाज के परभाव से केतना सुरक्षित बा।[2] एह तरीका से देखे पर कुछ लोग के कहनाम इहो बा कि जब मनुष्य के काम से पूरा पृथ्वी के जलवायु सिस्टम आ हवा के बनावट में बदलाव हो रहल बा, पृथ्वी के कौनों हिस्सा आज अइसन नइखे बचल जवना के सही अरथ में प्राकृतिक कहल जा सके।

एक ठो दूसर संर्दभ में, प्राकृतिक पर्यावरण शब्द के प्रयोग जीवजंतु के आवास (हैबिटाट) खातिर भी होला। उदाहरण खातिर, जब ई कहल जाय कि जिराफ सभ के प्राकृतिक पर्यावरण सवाना घास के मैदान हवे।

प्राकृतिक पर्यावरण के भाग संपादन करीं

पृथ्वी बिज्ञान आ भौतिक भूगोल जइसन बिसय जे मुख्य रूप से एह तरह के पर्यावरण के अध्ययन करे लें, प्राकृतिक पर्यावरण (यानि पृथ्वी) के चार हिस्सा में बाँटे लें: थलमंडल, वायुमंडल, जलमंडल आ जीमंडल। कुछ बिद्वान लोग हिममंडल (क्रायोस्फीयर, बर्फ वाला हिस्सा) आ मृदामंडल (पेडोस्फीयर, माटी वाला हिस्सा) के अलग से गिने लें आ पृथ्वी के छह गो मंडल में बाँटे लें।

थलमंडल संपादन करीं

इहो देखल जाय संपादन करीं

संदर्भ संपादन करीं

  1. Johnson, D. L.; Ambrose, S. H.; Bassett, T. J.; Bowen, M. L.; Crummey, D. E.; Isaacson, J. S.; Johnson, D. N.; Lamb, P.; Saul, M.; Winter-Nelson, A. E. (1997). "Meanings of Environmental Terms". Journal of Environmental Quality. 26 (3): 581–589. doi:10.2134/jeq1997.00472425002600030002x.
  2. Symons, Donald (1979). The Evolution of Human Sexuality. New York: Oxford University Press. p. 31. ISBN 0-19-502535-0.