महजिद भा मस्जिद मुसलमान लोग के प्रार्थना के जगह हवे।

Jama Masjid
दिल्ली के जामा मस्जिद भारत के सभसे बड़ महजिद हवे

सुन्नी इस्लाम में बहुत कड़ेर बिधान बाटे कि कौनों जगह भा भवन के महजिद होखे खातिर कवन-कवन चीज जरूरी बा, अगर एह पैमाना पर ऊ जगह सही ना उतरे तब अइसन प्राथना-अस्थान के मुसल्ला कहल जाला। [1] अगर कवनो भवन भा जगह के महजिद के रूप में मान लिहल गइल होखे तब ओकरे इस्तेमाल खातिर भी साफ-साफ नियम बा आ शरीआ के मोताबिक जेकरा के एक बेर महजिद मान लिहल गइल होखे, दुनिया के अंत (कयामत) ले ऊ जगह महजिदे रही।[1]

बहुत सारा महजिद में बिसाल आ सुघर गुंबज आ मिनारा होखे लें आ भब्य भवन रचना होला, हालाँकि कुछ महजिद बहुत सहज रचना वाली भी बाड़ी। अरबी प्रायदीप में महजिद बने के सुरुआत भइल आ अब ई दुनिया के जयादातर आबाद हिस्सा में अस्थापित बाड़ी सऽ। महजिद के मुख्य मकसद इस्लाम में बर्णित प्रार्थना सलात (नमाज) खातिर ह, एकरे अलावा आम सामूहिक जानकारी, शिक्षा आ बिबाद निपटारा के जगह के रूप में भी एकर इस्तमाल हो सके ला।[2] प्रार्थना खातिर एकट्ठा लोग के नमाज पढ़ावे के काम करे वाला अगुआ के इमाम कहल जाला।

संदर्भ संपादन करीं

  1. 1.0 1.1 "Fiqh of Masjid & Musalla". Qa.sunnipath.com. 2005-07-03. Archived from the original on 2011-10-19. Retrieved 2011-11-03.
  2. McLoughlin, S. 2005. "Mosques and the Public Space: Conflict and Cooperation in Bradford." Journal of Ethnic and Migration Studies 31(6): 1045–1066.