हीरा डोम
एगो भोजपुरी कबी
हीरा डोम एगो भोजपुरी कबी रहलें।[1] इहाँ के दलित लोगन प पाहिलका कबीता लीखले रहीं।[2] ऊ कबीता के नांव अछूत की शिकायत रहे जे 1914 मे इलाहाबाद से सरस्वती पत्रिका मे छपल रहे।[3][4][5]
हीरा डोम | |
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जनम | 1885 दानापुर, बिहार |
पेशा | कबी |
प्रमुख रचना | अछूत की शिकायत (1914) |
जिनगी
संपादन करींई के डोम जात के रहलें जेवन कि समाज मे एगो नीच जात मानल जाले। इनकर जनम 1885 मे बिहार के दानापुर मे भइल।[6] कुछु बिद्वान लोग मानेला जे इहाँ के बनारस से रहीं।
संदर्भ
संपादन करीं- ↑ कुमार, अक्षय. Poetry, Politics and Culture: Essays on Indian Texts.
- ↑ कुमार, विवेक. India's Roaring Revolution Dalit Assertion and New Horizons. Gangdeep Publications.
- ↑ Dalit Literature - A Critical Exploration. pp. First poem on Dalits in print was 'Acchut kee Shikayat' (The Complaint of The Untouchable) composed by Heera Dom in 'Saraswati' published from Allahabad in the year 1914.
- ↑ Edited by P. Ravi, V.G. Gopalkrishnan (2019). Dalit Sahitya : Samvedana Ke Aayam. Vani Prakashan. pp. 81–. ISBN 978-93-88684-25-5.
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has generic name (help) - ↑ Ramshankar Katheria. Dalit Sahitya : Nai Chunautiyan. Prabhat Prakashan. pp. 83–. ISBN 978-93-5186-581-0.
- ↑ Dr. N. Singh, दलित साहित्य के प्रतिमान, Vaani Publications, New Delhi, Paperback Version-2012, page-91.
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