अचार
अचार भा अचाँर खाना के एगो आइटम हवे जे खासकर भारतीय उपमहादीप (भारत, नेपाल, पाकिस्तान आ आसपास के देस सभ) में बनावल जाला। ई कई तरह के फल आ तरकारी सभ से बनावल जाला। दू गो मुख्य प्रकार होला तेलहा अँचार आ नूनहा अँचार, पहिला में फल आ सब्जी के काट के मसाला लपेट के खाए वाला तेल में सान के रखल जाला जबकि नुनहा अँचार में एकरा के ढेर दिन ले चले लायक बनावे बदे नमक के इस्तेमाल होला।
आम के अचार सभसे प्रचलित अचार हवे। एकरे अलावा कटहर, नेबू, मुरई, आदी, लहसुन, अमड़ा, करवन, वगैरह चीज के अचार बनावल जाला। खाना में ई बहुत थोड़ा सा लिहल जाला आ मुख्य भोजन के चटकार बनावे खाती खाइल जाला।
पहिले अँचार के घरेलू रूप से बनावल जाय, हालाँकि अब एकर ब्यापारिक उत्पादन बहुत बढ़ गइल बा आ बड़े-बड़े कंपनिन के फैक्टरी में एकर ब्यापक पैमाना पर उत्पादन कइल जा रहल बा।
समान
संपादन करींअँचार के मुख्य सामग्री कवनो फल भा सब्जी होला। आमतौर पर अइसन फल या सब्जी बीछल जाला जे सवाद में खटास वाला होखे, जवना से कि अँचार चटकार बने। दक्खिन-एशिया में जवना चीज सभ के अचार बनावल जाला ओह में आम आ नेबू प्रमुख बाने। एकरे अलावा गोभी, कटहर, गाजर, मुरई, टमाटर, पियाज, लहसुन, अदरक, कोंहड़ा, भसींड़ (कमल के सोरि), हरियर भा लाल मरिचा, करवन, अँवरा, अमड़ा वगैरह के अचार बनावल जाला। उत्तर भारत में पाकड़ के ठूँसा (नई पतई के कोंपल) के भी अँचार बने ला आ दक्खिन भारत में नारियल बंस के पौधा सभ के नया पतई के करिला नियर रूप से भी।
दुसरा प्रमुख सामग्री हवे ढेर दिन ले चलावे आ सरे से बचाव खातिर इस्तेमाल होखे वाला घोल। बहुत सारा अचार खाली नून डार के बनावल जालें आ नमकीन पानी में अँचार के टुकड़ा ढेर दिन ले सुरक्षित रहे ला। अइसन अचार के नुनहा अचार कहल जाला। दुसरे किसिम के अचार, खाए वाला तेल में बने लें। उत्तर भारत में सरसों के तेल सभसे ढेर इस्तमाल होला। कुछ जगह सरसों के तेल कि जगह पीसल सरसों के प्रयोग भी होला, खासतौर से आंध्र परदेस में। कबो-कबो मामूली मात्रा में सिरका भी डालल जाला।
तीसरा चीज हवे मसाला। सरसों आ अमचूर (आम के सुखावल आ पीसल खटाई) एकर मुख्य अंग होला। बाकी मसाला इलाका के अनुसार बिबिधता लिहले कई चीज के हो सके ला।
घरेलू रूप से बनावल जाए वाला अचार के मसाला में सान के घाम देखा के सिझावल जाला। एह में दू से चार हप्ता के समय लागे ला आ एही कारण अचार अइसन मौसम में डारल जाला जब खूब घाम होखे आ वातावरण में नमी कम होखे।