संस्कृत व्याकरण में अव्यय अइसन शब्द होलें जे हमेशा एक समान रहे लें, जिनहन प लिंग, वचन भा बिभक्ति के परभाव ना पड़े ला।[] दुसरा तरीका से कहल जाय त एह शब्दन के रूप ना चले ला।[] ई अविकारी शब्द हवें।

हिंदी व्याकरण में अव्यय के आठ गो भेद बतावल गइल बाड़ें: क्रियाविशेषण अव्यय, प्रविशेषण अव्यय, कालवाचक अव्यय, स्थानवाचक अव्यय, दिशावाचक अव्यय, संबंधबोधक अव्यय, समुच्चयबोधक अव्यय, आ विस्मयादिबोधक अव्यय।[2]

  1. सदृशं त्रिषु लिङ्गेषु, सर्वासु च विभक्तिषु।
    वचनेषु च सर्वेषु यन्नव्येति त‍दव्‍ययम्।।[1]
  2. जइसे कि बालक के रूप बालकः, बालकौ, बालकाः वगैरह होला ओइसे एह अव्यय सभ के बिबिध रूप ना होखे लें।
  1. घिल्डियाल, श्रीधरानंद. वैयाकरण सिद्धान्त कौमुदी (हिंदी में). मोतीलाल बनारसीदास. p. 4. ISBN 978-81-208-2148-4. Retrieved 5 जून 2023.
  2. चौधरी, तेजपाल (1994). हिंदी व्याकरण विमर्श (हिंदी में). वाणी प्रकाशन. pp. 155–163. ISBN 978-81-7055-344-1. Retrieved 5 जून 2023.