भारत में, इमरजेंसी 21 महीना के समय (1975 से 1978 के बीच) के दौर रहल जब तत्कालीन परधानमंत्री इंदिरा गाँधी देस में अंदरूनी उथल-पुथल के स्थिति से बचाव के नाँव पर इमरजेंसी लागू कइले रहली। आधिकारी तौर पर, राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली द्वारा घोषित कइल गइल ई इमरजेंसी संबिधान के अनुच्छेद 352(1) के तहत लगावल गइल रहल आ 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 ले लागू रहल।

प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी, जिनके समय में इमरजेंसी लागल रहल।

इमरजेंसी लगावे के आदेस, इलाहाबाद हाईकोर्ट के ओह कानूनी जजमेंट के ठीक बाद भइल जेह में इंदिरा गांधी के, चुनाव में गलत तरीका के इस्तेमाल के दोसी करार दिहल गइल आ उनके चुनाव रद्द क दिहल गइल, एकरे कारण उनके परधानमंत्री बनल रहे पर खतरा आ परल।

इमरजेंसी के दौरान, बिरोधी पार्टी के नेता लोग के जेल भेजल गइल आ प्रेस आ मीडिया पर कई तरह के सेंसर लगावल गइल। इमरजेंसी के दौर के आजाद भारत के इतिहास के सभसे बिबादित दौर मानल जाला।[1] यही समय, जबरियन नसबंदी करावे के अभियान चलावल गइल जेकर करता-धर्ता संजय गाँधी रहलें। इमरजेंसी के दौर के बाद में भइल समीक्षा में अइसन परमान भी मिलल बतावल जाला कि इंदिरा गाँधी कुछ समय खाती इमरजेंसी लगावे के योजना में रहली, हालाँकि एकर अवधि बढ़त चल गइल। इमरजेंसी के दौर के आलोचना, साहित्य आ मीडिया में बहुत भइल बा।[2]

  1. "India in 1975: Democracy in Eclipse", ND Palmer – Asian Survey, vol 16 no 5. Opening lines.
  2. Shankar Jha, Prem (25 June 2017). "Forty Two Years After the Emergency, India's Democracy is Once Again in Danger". The Wire. Retrieved 27 June 2017.