कपिलवस्तु
कपिलवस्तु भारतीय उपमहादीप के उत्तरी इलाका में एगो प्राचीन शहर रहल जे लौह युग के अंत में, लगभग 6वीं आ 5वीं सदी ईसा पूर्व में शाक्य लोग के कुल गणसंघ भा "गणतंत्र" के राजधानी रहल। मानल ई जाला कि राजा शुद्धोदन आ रानी माया कपिलवस्तु में रहत रहल लोग आ इनहन लोग के बेटा राजकुमार सिद्धार्थ गौतम ( गौतम बुद्ध ) सुरुआत में एहिजे रहलें जबले कि ऊ 29 बरिस के उमिर में महल से बाहर ना निकल गइलें।[1]
कपिलवस्तु के वर्तमान संभावित लोकेशन
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पाली कैनन नियर बौद्ध ग्रंथ सभ में बतलावल गइल बा कि कपिलवस्तु गौतम बुद्ध के बचपन के घर रहल, आ एह तरीका से ई शाक्य लोग के राजधानी रहल, जिनहन लोगन पर सिद्धार्थ गौतम पिता के शासन रहल। [1] कपिलवस्तु उ जगह ह जहवाँ सिद्धार्थ गौतम जी आपन जिनगी के सुरुआती 29 साल बितवलन। बौद्ध स्रोत सभ के मोताबिक कपिलवत्थु नाँव के मतलब होला "भूअर इलाका", एह इलाका में लाल-भुअराहूँ रंग के बालू के भरमार के कारण। [2] [3]
कपिलवस्तु कबो दूर ना लुम्बिनी में बुद्ध के जनम स्थल निहन प्रमुख तीर्थस्थल ना बनल, जवना से अचूक अवशेष रह जाता। ई बस्ती शायद कबो ओतना बड़हन ना रहल जेतना कि सुरुआती बौद्ध कला में चित्रण बतावे ला आ भारत में बौद्ध धर्म के पतन के बाद एकर लोकेशन अस्पष्टता में फीका पड़ गइल। अब नेपाल आ भारत के सीमा के लगे दू गो जगह बाड़ी सऽ जिनहन के कपिलवस्तु होखला के दावा कइल जाला। उत्तर प्रदेश के पिप्रहवा के इतिहासकार लोग नेपाल के तिलौरकोट से ज्यादा स्वीकार करेला। पिप्रहवा में मिलल चीज (जवना में कीचड़ के स्तूप के भीतर मिलल अवशेष भी सामिल बा) बौद्ध गतिविधि के संकेत देला जे 5वीं-4वीं सदी ईसा पूर्व के हवे, इहे काल लगभग बुद्ध के निधन के काल ह। [4]
कपिलवस्तु के खोज
संपादन करीं19वीं सदी में कपिलवस्तु के ऐतिहासिक स्थल के खोज फाह्यान आ बाद में ज़ुआनजांग द्वारा छोड़ल गइल बिबरन सभ के हिसाब से खोजल गइल, ई लोग चीनी बौद्ध भिक्षु रहलें जे एह जगह के सुरुआती तीर्थयात्रा कइले रहलें आ बिबरन दिहले रहलें। [5] [6] [7] [8] कुछ पुरातत्वविद लोग वर्तमान समय के तिलौराकोट, नेपाल के पहिचान कइले बा जबकि कुछ लोग वर्तमान समय के पिप्रहवा, भारत के ऐतिहासिक स्थल कपिलवस्तु के स्थान के रूप में पहिचान कइले बा, ई शाक्य राज्य के शासन के केंद्र हवे जे एह इलाका के कवर कइले होखी। [9] [10] दुनों जगह पर पुरातात्विक खंडहर आजु के समय में मौजूद बाड़ें। पिपरहवा के लोग बतावे ला कि ई एगो महत्वपूर्ण सुरुआती बौद्ध स्थल रहल जहाँ स्तूप आ मठ रहलें आ शायद बुद्ध के अंतिम अवशेष एहू जा रखल गइल रहलें। [4] [11] [12] [13]
प्रस्तावित साइट
संपादन करीं== प्राचीन चित्रण ==kapil basto ma k ko bikash vyako thiyo
इहो देखल जाव
संपादन करीं- बाणगंगा नदी - कपिलवस्तु से गुजरे वाली नदी
संदर्भ
संपादन करीं- ↑ 1.0 1.1 Trainor, K (2010). "Kapilavastu". In Keown, D; Prebish, CS (eds.). Encyclopedia of Buddhism. Milton Park, UK: Routledge. pp. 436–7. ISBN 978-0-415-55624-8.
- ↑ Kapila, PTS Pali English Dictionary. Link: https://suttacentral.net/define/kapila
- ↑ Suttacentral
- ↑ 4.0 4.1 Srivastava, KM (1980). "Archaeological Excavations at Piprāhwā and Ganwaria and the Identification of Kapilavastu". The Journal of the International Association of Buddhist Studies. 13 (1): 103–10.
- ↑ Beal, Samuel (1884). Si-Yu-Ki: Buddhist Records of the Western World, by Hiuen Tsiang. 2 vols. Translated by Samuel Beal. London. 1884. Reprint: Delhi. Oriental Books Reprint Corporation. 1969. Volume 1
- ↑ Beal, Samuel (1911). The Life of Hiuen-Tsiang. Translated from the Chinese of Shaman (monk) Hwui Li by Samuel Beal. London. 1911. Reprint Munshiram Manoharlal, New Delhi. 1973. Internet Archive
- ↑ Li, Rongxi (translator) (1995). The Great Tang Dynasty Record of the Western Regions Archived 2018-07-13 at the Wayback Machine. Numata Center for Buddhist Translation and Research. Berkeley, California. ISBN 1-886439-02-8
- ↑ Watters, Thomas (1904). On Yuan Chwang's Travels in India, 629-645 A.D. Volume1. Royal Asiatic Society, London.
- ↑ Tuladhar, Swoyambhu D. (November 2002), "The Ancient City of Kapilvastu - Revisited" (PDF), Ancient Nepal (151): 1–7
- ↑ Hellier, Chris (March 2001). "Competing Claims on Buddha's Hometown". Archaeology.org. Retrieved 21 March 2011.
- ↑ Sharda, Shailvee (4 May 2015), "UP's Piprahwa is Buddha's Kapilvastu?", Times of India
- ↑ "Kapilavastu". Archived from the original on 8 January 2011. Retrieved 1 March 2011.
- ↑ Huntington, John C (1986), "Sowing the Seeds of the Lotus" (PDF), Orientations, September 1986: 54–56, archived from the original (PDF) on 28 November 2014
ग्रंथ
संपादन करीं- Coningham, Robin; Young, Ruth (2015). The Archaeology of South Asia: From the Indus to Asoka, c.6500 BCE–200 CE. Cambridge University Press. pp. 438–440. ISBN 978-1-316-41898-7.