काली
काली चाहे महाकाली हिंदू लोग के एगो देवी के कहल जाला। इनकर मूर्ति करिया रंग के स्त्री के रूप में चार बाँहि वाली, गोड के नीचे शिव भगवान के दबवले, मुड़ी के माला आ बाँही के करधनी लगवले बड़ा डेराभूत होला।
काली | |
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काल, सृष्टि, आ शक्ति के देवी | |
Member of दस महाविद्या | |
संस्कृत ट्रांसलिटरेशन | दुर्गा, पार्वती आ महाकाली |
संबंधित बाड़े | महाकाली, पार्वती/दुर्गा, महाविद्या, शक्ति |
धाम | श्मशान |
हथियार | खड्ग, त्रिशूल, खप्पर |
तिहुआर | काली पूजा, नवरातर |
Consort | महाकाल |
शब्द उत्पत्ति
संपादन करींकाली "कालि" शब्द के अपभृंश रूप ह जवना के मतलब होला काल के अंतिम बिंदु या आरम्भ बिंदु काल के शाब्दिक अर्थ "समय" होला। हिन्दू शास्त्र में काल अथवा समय के स्वस्तिक के रूप में बनावल भा देखावल जाला। श्रृष्टि, काल भा समय चक्र के परिणाम ह एह से "कालि" के माता मानल जाला। हिन्दू धर्म सबसे पुरान धर्म ह एह से यह धर्म में ई शब्द आज भी काली के रूप में मौजूद बा। हिन्दू धर्म, मूर्ति भा आकार के पूजा से संबंधित भइला के कारण आ काली शब्द इकारांत भइला के कारण काली के मूर्ति स्त्री रूप में बनावल गइल बा |समय भा काल पुरूष लिंग शब्द ह लेकिन एकर जन्म भा उत्पत्ति जवना बिंदु से भइल उ माता के रूप होखला के कारण भी काल शब्द में "ई" के मात्रा जोड़ के काल के माता भा काल के पूर्ण में उदरस्त करे के शक्ति काली कहईली। देखल जाय त ई काली के संबंध खाली हिन्दू धर्म मात्र से न होके कुल ब्रह्माण्ड में मौजूद धर्म आ संस्कृति से हो जात बा। काल भा समय के सबसे बलवान भा शक्तिशाली तत्व मानल जाला आ काली, जेकरा से काल के उत्पत्ति भा अंत होला उनकर शक्ति के त ब्याख्या कवनो शब्द से नइखे कइल जा सकत। काली के उपासना ,पूजा हर धर्म में वोह धर्म के रीती के अनुसार होला आ हर धर्म में इनका के अलग अलग नाम से आ अलग अलग रूप से सम्मान कइल जाला। स्वस्तिक भी इनके रूप ह। समय भा काल के हर धर्म हर संस्कृति में सबसे ज्यादा महत्व दिहल जाला। इस्लाम धर्म के अजान कहीं भा इशाई धर्म के प्रार्थना सब समय के सम्मान के रूप ह। जहां काल के सम्मान होला वो जगह पर काली के सम्मान खुद ब खुद हो जाला।
संदर्भ
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