कृष्णा सोबती
भारतीय लेखिका
कृष्णा सोबती (18 फरवरी 1925 – 25 जनवरी 2019) एगो भारतीय लेखिका रहली। हिंदीमें साहित्य रचना करे वाली सोबती मुख्य रूप से कथा लेखन (फिक्शन) आ निबंध लेखन खाती जानल जाली। इनके उपन्यास जिंदगीनामा खाती 1980 में साहित्य अकादमी सम्मान मिलल रहे आ बाद में साहित्य अकादमी के फेलोशिप (1996) भी मिलल। एकरे अलावा कई गो अन्य सम्मान मिल चुकल बाने आ इनके सभसे परसिद्ध उपन्यास मित्रो मरजानी हवे। सोबती के 2017 के ज्ञानपीठ सम्मान दिहल गइल।[2]
कृष्णा सोबती | |
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जनम | गुजरात शहर, पंजाब, ब्रिटिश भारत | 18 फरवरी 1925
निधन | 25 जनवरी 2019[1] दिल्ली | (उमिर 93)
पेशा | कथा लेखिका, निबंधकार |
राष्ट्रियता | भारतीय |
प्रमुख रचना |
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प्रमुख सम्मान |
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25 जनवरी 2019 के सोबती के निधन भ गइल।[3]
रचना-संसार
संपादन करींअनुबाद
संपादन करींकृष्णा सोबती के कई रचना सभ के अंग्रेजी में अनुबाद भइल बा:
- To hell with you Mitro! (मित्रो मरजानी)
- Memory's Daughter (डार से बिछुरी)
- Listen Girl (ऐ लड़की)
- ज़िंदगीनामा - ज़िंदा रुख़ (उर्दू) (एही नाँव से हिंदी शीर्षक से)
- The Heart Has Its Reasons (दिलो-दानिश)
उपन्यास
संपादन करीं- ज़िंदगीनामा
- मित्रो मरजानी
- डार से बिछुरी
- सूरजमुखी अँधेरे के
- दिलोदानिश
- यारों के यार
- समय सरगम
- ऐ लड़की
कहानी
संपादन करीं- नफ़ीसा
- सिक्का बदल गया
- बादलों के घेरे
- बचपन
संदर्भ
संपादन करीं- ↑ "Acclaimed Hindi Writer Krishna Sobti Passes Away At 93". The Quint.
- ↑ भाषा. "वरिष्ठ साहित्यकार कृष्णा सोबती को ज्ञानपीठ पुरस्कार". Thewirehindi.com. Retrieved 2017-11-04.
- ↑ "Krishna Sobti Dies At 94 - ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लेखिका कृष्णा सोबती का निधन - Amar Ujala Kavya". Amarujala.com. 2017-06-15. Retrieved 2019-01-25.
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