केंवाड़ी
केंवाड़ी एगो अईसन रोकावट के कहल जाला जवन घर के दुआरि प लागल रहेला। केंवाड़ी के उपजोग सुरक्खा ला कइल जाला। ई पारंपरिक रूप मे देवाल मे एगो बड़का छेदा कई के ओह मे लगावल जाला आ हेकरा ओठंगावे चाहे खोले के अलग अलग तरीका होला, जइसे गोले घूरा के, घसका के, उपरा उठाई के, पाला सभ के मोड़ के आदि।
केंवाड़ी मे छीटकिल्ली चाहे सिकरी लागल रहेला जेकरा से बंद होला प होकर सूरक्खा बढ़ि जाला। ताला ई सुनिश्चित करेला जे ओकरा सभ लोग खोल ना सकस। केंवाड़ी के खटखटा के चाहे ओमे सिकरी आ छीटकिल्ली के, चाहे आज काल के जमाना मे बहरा लागल घंटी भा डोरबेल बजा के बहरा ठाड़ होखे के सनेसा भीतर बइठल अदिमी के दिहल जाला। भीत्तर चाहे बाहर आवाजाही के छोड़ि के केंवाड़ी के परजोग आपन निजता (प्राइवेसी) ला कइल जाला।