क्रिया-विशेषण

शब्द जे कौनों क्रिया, विशेषण भा दुसरे क्रियाविशेषण के मॉडिफाई करे ला
(क्रिया विशेषण से अनुप्रेषित)

क्रिया-विशेषण चाहे क्रिया विशेषण (अंग्रेजी: adverb; उच्चारण: ऎड्वर्ब) अइसन शब्द होला जे क्रिया, विशेषण, दूसर कवनो क्रिया-विशेषण (आ डेटरमाइनर, क्लाज, प्रीपोजीशन चाहे वाक्य) के अरथ में कुछ बदलाव करे ला (उनहन के मॉडिफ़ाई करे ला)। परंपरागत व्याकरण में एकर सबसे आसान परिभाषा दिहल जाले — अइसन शब्द जे क्रिया के बिसेसता बतावे।

आमतौर प क्रिया-विशेषण कौनों तरीका, जगह, टाइम, बारंबारता, डिग्री, स्तर, निश्चितता के स्तर वगैरह बतावे लें; ई सवाल कइसे, कवना तरीका से, कहाँ, कब, कवना सीमा तक वगैरह के जबाब होखे लें। एह फंक्शन के अंग्रेजी में एडवर्बियल फंक्शन कहल जाला आ ई एकहू शब्द द्वारा पूर हो सके ला चाहे कई शब्द वाला एडवर्बियल फ्रेज भा एडवर्बियल क्लॉज द्वारा पूरा कइल हो सके ला।

वर्गीकरण संपादन करीं

भोजपुरी में संपादन करीं

भोजपुरी व्याकरण में क्रिया-विशेषण के वर्गीकरण तीन गो आधार से कइल गइल बाटे आ आगे इनहन के उपभेद बतावल गइल बाड़ें:[1]

रूप के आधार प
  • मूल — जवन कौनों प्रत्यय भा शब्द के मिलला से ना बने; जइसे अचानक, ठीक, झट वगैरह।
  • यौगिक — जवन दूसर शब्दन के योग से बनल होखे; जइसे तड़-तड़, दिन-भर, धड़ाधड़ वगैरह।
  • स्थानीय — बेगर आपन रूप बदलले जवन शब्द क्रियाविशेषण के समान प्रयोग होखे; जइसे संज्ञा — तू का आपन कपार पढ़बऽ?, सर्वनाम — हम ओने गइलीं, वगैरह।
प्रयोग के आधार प
  • साधारण - कवनो वाक्य में स्वतंत्र रूप से इस्तमाल होखे।
  • संयोजक - जेकर उपवाक्य से संबंध होखे।
  • अनुबद्ध - निश्चय के बोध करे खातिर कवनो शब्द के संगे आवे। हमरा लगे कलम बा, लइका पढ़ले भर बा
अर्थ के आधार प
  • स्थानवाचक: जगह के बोध करावे ला। ई दू किसिम के होला - स्थिति भा हालत के बोध करावे (आगे, पाछे, तर, ऊपर, इहँवा, सोझा वगैरह); आ दिशावाचक (एने, होने, आर-पार, बाएँ, दाएँ, चारो ओर वगैरह)।
  • कालवाचक: से समय के बोध होला। इहो चार किसिम के होला: बिंदु समय (प्वाइंट ऑफ़ टाइम) जइसे कि अब, तब, आजु-काल्हु, सबेरे, फेनु वगैरह। अवधि (पीरियड ऑफ़ टाइम) दिनभर, लगातार, कबो-कबो वगैरह। बेर-बेर दोहराव से — जइसे बेर-बेर, फेनु-फेनु, घरी-घरी, गते-गते वगैरह।
  • परिमाणवाचक: अधिकता (ढेर के) सूचक — बहुत, खूब, सभ, निपट, जादा, बेसी वगैरह। न्यूनता (कम के) सूचक — तनिकी, इचिकी, थोरकी, लगभग (?) वगैरह। पर्याय (क्रम) सूचक — हद, बस, काफी, बहुत (बस बहुत के अरथ में) वगैरह। तुलना वाचक — कम, अतना, बेसी, बढ़ि के, बीस बा, उनइस बा। क्रम भा श्रेणी वाचक — तनी-तनी, बारी-बारी, पारा-पारी, थोरे-थोरे वगैरह।
  • रीतिवाचक: तरीका बतावे ला। एकर उपभेद बाने: प्रकार - आहिस्ते, कइसे, अइसे, जइसे। स्वीकार - जी, हँ, ठीक, बेशक। निश्चय - जरूर, दर-अस्सल, हूबहू, एकदम। अनिश्चय - शायद, यथाशक्ति, हो सकेला, उमेद बा। कारन - एहसे, काहें। अवधारणा (पक्क, निश्चय) - तक, भर, त। निषेध (मनाही) - ना, मत, जनि, उहूँ वगैरह।

हिंदी में संपादन करीं

आमतौर पर हिंदी व्याकरण में क्रिया-विशेषण के चार गो प्रमुख भेद बतावल जालें: रीतिवाचक, कालवाचक, स्थानवाचक अउरी परिणामवाचक। बाकी आगे इनहनों के कई उपभेद कइल जालें। इनहन के उपभेद नीचे दिहल गइल बाड़ें:

  • रीतिवाचक: जे कौनों क्रिया के होखे के तरीका भा बिधि बतावे: उपभेद — (1) विधिवाचक, (2) निश्चयवाचक, (3) अनिश्चयवाचक, (4) निषेधवाचक, (5) स्वीकृतिवाचक, (6) आकस्मिकतावाचक, (7) अवधारणावाचक, (8) प्रश्नवाचक, (9) हेतुवाचक।
  • कालवाचक: जे समय के बारे में बतावे लें, उपभेद — (1) कालबिंदुवाचक, (2) अवधिवाचक आ (3) बारंबारतावाचक।
  • स्थानवाचक: जे कवनो जगह के बारे में बतावे लें, उपभेद — (1) स्थितिवाचक आ (2) दिशावाचक।
  • परिमाणवाचक: जे कवनो परिमाण (मात्रा) बतावें लें, उपभेद — (1) अधिकतावाचक, (2) न्यूनतावाचक, (3) पर्याप्ततावाचक, (4) तुलनावाचक आ (5) श्रेणीवाचक।

फुटनोट संपादन करीं

स्रोत ग्रंथ संपादन करीं

स्रोत ग्रंथ संपादन करीं

  • ओझा 'निर्भीक', रसिक बिहारी (1975). भोजपुरी शब्दानुशासन (1 ed.). जमशेदपुर: जमशेदपुर भोजपुरी साहित्य परिषद.