खेल (Game) सामान्य खेल-खेलवाड़ के ब्यवस्थित रूप होला। अइसे तऽ खेल मनोरंजन आ आनंद ला खेलल जाला, बाकिर, कबो-कबो शिक्खो ला हो सकेला। खेल, काम से अलग होला काहें कि काम कोनों मेहनताना ला भा कोनों खास उद्देश्य के पूरा करे ला कइल जाला; खेल कला से भी अलग होला जेकर मकसद ढेर सौन्दर्य के रचना कइल भा जाहिर कइल होला। हालाँकि, कौनों किलियर लाइन नइखे कि इनहन के अलगावल जा सके।

tug of war
रस्सा-कशी के खेल

अक्सरहा खेल बस आनंद पावे खाती, मने कि मनोरंजन खाती खेलल जालें, जबकि कुछ दशा में ई ईनाम पावे खाती भी खेलल जा सके लें। कई खेल अकेले खेलल जालें जबकि कई सारा खेल में कई लोग मिल के हिस्सेदारी करे ला, जे लोग ओह खेल के खेलाड़ी कहाला। खेल आपस में भी खेलल जा सके ला आ खेल खेलत समय कुछ लोग एकरा के देखे वाला भी हो सके ला जे लोग दर्शक होला। कुछ खेल में खेलाड़ी सभ आपसे में कबो दर्शक के भूमिका में रह सके लें आ आपन बारी आवे प खेल में हिस्सा ले सके लें। लइकन के खेल-खेलवाड़ में अकसरहा आपस में तय होखे ला कि के देखे वाला रही आ के लोग खेल के हिस्सा बनी।

खेल में सभसे महत्व वाला अंग होला एकर लक्ष्य, नियम, चुनौती आ आपसदारी के अंतर्क्रिया। आमतौर पर खेल में शरीर भा दिमाग, या दुनों के कसरत शामिल होला। बहुत सारा गेम आदमी के शारीरिक आ दिमागी कुशलता के बिकास में सहायक होखे लें, कसरत के काम करे लें, शिक्षा आ अन्य मनोबैज्ञानिक रोल भी खेल में सामिल हो सके ला।