गीतगोविंदम् चाहे गीतगोविंद, संस्कृत भाषा में लिखल, कवी जयदेव के रचना हऽ। ई काव्य के रूप में लिखल रचना हवे आ गीत के रूप में गावल जाए खाती रचल गइल हवे। लोक में प्रसिद्ध गीतन के अलावा एह में कथा बिधान, भाषण, नाटक-गद्य वगैरह के सगरी सामग्री मिले ला आ ई कई सर्ग में बिभाजित क के लिखल गइल हवे। एह रचना के प्रतिपाद्य बिसय राधा-कृष्ण के केलि कथा हवे। प्रेम के लगभग सगरी दसा सभ के मरम छू लेवे वाला वर्णन एह रचना में मौजूद बा। शृंगार रस के बिस्तार से बर्णन के कारण कुछ लोग एकरा के भक्ति के बजाय शृंगार प्रधान रचना माने ला जबकि ओह समय आ बाद के भक्ति आंदोलन पर एकरे ब्यापक परभाव के चलते बहुत बिद्वान लोग एकरा के भक्ति रचना माने ला।

गीतगोविंदम्
Gita Govinda, 19th century, Honolulu Museum of Art,
जानकारी
धरमहिंदू धर्म
भाषासंस्कृत
छंदअष्टपदी, श्लोक

पूस के शुक्लपक्ष के सत्तिमी के कवी जयदेव के जयंती मनावल जाले आ एह दिन एह रचना के पाठ कइल जाला।