चित्तू पांडे
चित्तू पांडे (10 मई 1895 – 1946), जिनका के लोकप्रिय रूप से "शेर-ए-बलिया" (बलिया के शेर) कहल जाला, एगो भारतीय आजादी के कार्यकर्ता आ क्रांतिकारी रहलें।
पाण्डेय के जनम उत्तर प्रदेश के बलियाँ जिला के एगो गाँव रट्टुचक में एगो भुँइहार परिवार में भइल रहे।
एगो प्रतिष्ठित स्वतंत्रता कार्यकर्ता आ कांग्रेसी नेता[1] के रूप में ई बलियाँ में भारत छोड़ो आंदोलन के नेतृत्व कइलें; जवाहरलाल नेहरू आ सुभास चंद्र बोस द्वारा "बलिया के शेर" के रूप में बतावल गइल,[2] ऊ 19 अगस्त 1942[3] के घोषित आ स्थापित राष्ट्रीय सरकार के कुछ दिन ले नेतृत्व कइलें आ एकरे बाद एकरा के अंगरेज लोग दबा दिहल। समानांतर सरकार कलेक्टर से सत्ता सौंप के सगरी गिरफ्तार कांग्रेसी नेता लोग के रिहा करावे में सफल रहल।[4][5] लेकिन एक हफ्ता के भीतर सैनिक मार्च कइले अउरी नेता लोग के भागे के पड़ल। ऊ अपना के गाँधीवादी कहत रहले। बलियाँ में चित्तू पांडेय के नाम पर भी एगो चौराहा बा।[6]
संदर्भ
संपादन करीं- ↑ Sarkar, Sumit (1 सितंबर 2009). Aadhunik Bharat (हिंदी में). Rajkamal Prakashan. ISBN 978-81-267-0517-7.
- ↑ "August Kranti : Ballia". Archived from the original on 27 October 2009. Retrieved 8 October 2010.
- ↑ Bharat me Swadhinta Sangharsh (हिंदी में). Pearson Education India. 2019. ISBN 978-93-5394-148-2.
- ↑ Book- India's Struggle for Independence by Bipan Chandra
- ↑ Mahotsav, Amrit. "Chittu Pandey". Azadi Ka Amrit Mahotsav, Ministry of Culture, Government of India (English में). Retrieved 20 जून 2022.
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: CS1 maint: unrecognized language (link) - ↑ "चित्तू पांडेय क्रासिग पर नहीं बनाएंगे अंडरपास, मसौदा रिजेक्ट". दैनिक जागरण (हिंदी में). 20 जून 2022.
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