तुतराही, तिलौथू से लगभग ८ क० म ० दक्षिण-पश्चिम में पहाड़ी की घाटी में है। यह रोहतास जिले का सर्वाधिक सुरम्य स्थान है। यहाँ उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पूरब की ओर दो ऊँची पहाड़ियों के बिच, लगभग १ मील लम्बी तथा हरियाली से भरी घाटी , सामने प्रपात और घाटी के बीच से कलकल कर बहती कछुअर नदी का पानी अद्भुत दृश्य उपस्थित करता है। यह घाटी पूरब में जहाँ लगभग ३०० मीटर चौड़ी है , वहीं पश्चिम की ओर सिकुड़ती हुई केवल ५० मीटर रह जाती है , जहाँ अंत (पश्चिम) में लगभग १८० फीट की ऊंचाई से प्रपात गिरता है। प्रपात के भीतर उसके दाएँ (दक्षिण) बाजु में थोड़ी ऊंचाई पर एक चबूतरा है। यहाँ जाने के लिए दक्षिण की ओर से सीढ़ी बनी है। चबूतरे पर माँ जगद्धात्री महिषमर्दिनी दुर्गा की प्रतिमा है। इस प्रतिमा से लगभग सटे दक्षिण में , चट्टान पर ऊपर-नीचे तीन भागों में बँटा शिलालेख नायक प्रताप धवल देव का है , जो १ अप्रैल ११५८ ई०, शनिवार (वि० सं० १२१४) को लिखवाया गया था। यहाँ (तुतला भवानी का) एक छोटा मंदिर निर्मित कर दिया गया है। हाल के दिनों में वन विभाग द्वारा ईस स्थल को इको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित किया गया है। सड़क, झूला पूल, इ-रिक्शा सहित यहाँ सारी पर्यटक सुविधाएँ मौजूद हैं।