नवाब मिर्ज़ा ख़ान (25 मई 1831 – 17 मार्च 1905) जिनके दाग़ देहलवी के शायरी वाला नाँव से जानल जाला, उर्दू-भाषा के कवी रहलें। इनका के ग़ज़ल खातिर जानल जाला आ ई पुरानी दिल्ली वाला स्टाइल के शायर रहलें। शुरूआती समय दिल्ली में बीतल आ ग़दर से पहिले ई रामपुर के नबाब के इहाँ चल गइलें, अंत में हैदराबाद में इनकर निधन भइल।

इनके गजल सभ के कई गो कलाकार लोग गवले बा। बाद के शायर, मोहम्मद इक़बालज़िगर मुरादाबादी नियर लोग इनके शागिर्द रहल।