धर्मो रक्षति रक्षितः

संस्कृत मोटो

धर्मो रक्षाति रक्षितः एगो पॉपुलर संस्कृत वाक्यांश[1] हवे जेकर जिकिर महाभारत[2]मनुस्मृति श्लोक 8.15 में कइल गइल बा। एकर मोटा-मोटी अनुवाद कइल जा सकेला कि "धर्म ओकर रक्षा करे वाला लोग के रक्षा करेला।"[3] अंग्रेजी में 'धर्म' शब्द के सबसे नजदीकी अनुबाद 'सही होखे के स्थिति' आ 'नैतिकता' होला।

ई वाक्यांश एगो पूरा मनुस्मृति श्लोक के हिस्सा ह जवना में कहल गइल बा कि:

धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्

मनुस्मृति के पहिला अनुवाद सर विलियम जोंस द्वारा 1776 में ब्रिटिश भारत में हिंदू खातिर कानूनी प्रावधान करे खातिर कइल गइल जेह में अउरियो दूसर संस्कृत धार्मिक किताब सामिल रहलीं।[4]

इ रिसर्च एंड एनालिसिस विंग, भारत के सुप्रीम कोर्ट, अउरी नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी के आदर्श वाक्य (मोटो) ह।[2]

शब्दार्थ संपादन करीं

एह मोटो में आइल 'धर्म' शब्द के अरथ कर्तब्य के रूप में लिहल गइल हवे।[5]

संदर्भ संपादन करीं

  1. Vidyāprakāśānandagirisvāmi. Gita Makaranda. India: Sri Suka Brahma Ashram, 1980.
  2. 2.0 2.1 "Shloka Shock: A verse from religious text not always just religious". The Financial Express. 31 January 2019. Retrieved 3 January 2021.
  3. "Manusmriti Verse 8.15". wisdomlib.org. 9 December 2016. Retrieved 9 December 2020.
  4. "भारत में क्यों कहा जाता है, 'धर्मो रक्षति रक्षितः'?". Nastik Bharat. Retrieved 2022-06-09.
  5. Mohan, N. (1996). Dharam Aur Sampradayikta: DHARAM AUR SAMPRADAYIKTA: A Humane Vision of Religion and Society. Prabhāta Prakāśana. p. 42. ISBN 978-81-7315-161-3. Retrieved 7 December 2023.