निरुक्त भा निरुक्तशास्त्र भारतीय बिद्या हवे जेह में भाषा के बिकास पर बिचार कइल जाला।[1] ई वेद के समझे-बूझे खातिर रचित छह गो वेदांग सभ में से एक हवे आ व्याकरण के साथे एकर नगीचे के संबंध बा। देश, काल आ अइसहीं अन्य कारण से शब्द में जवन बदलाव होला, अरथ में जवन बिकास होला, ओही के बिचार के निरुक्त कहल जाला।[1]

The opening pages of Yaska's Nirukta Vedanga text (Sanskrit, Devanagari script)

आधुनिक शास्त्र सभ में ई शब्दइतिहास (Etymology) नियर बिद्या हवे। प्राचीन भारत में एकर बिकास हजारन साल पहिले भइल आ ई भारतीय शास्त्र सभ के प्रमुख अंग हवे। महर्षि यास्क के ग्रंथ निरुक्तशास्त्र एह बिद्या के आधार हवे, जबकि ऊ खुदे अपने ग्रंथ में अपना से पहिले भइल निरुक्तकार लोग के हवाला मजिगरे दिहले बाने।

संदर्भ संपादन करीं

  1. 1.0 1.1 वाजपेयी, किशोरीदास (2007). "1". हिंदी निरुक्त (हार्डकॉपी) (हिंदी में) (4था ed.). दिल्ली: वाणी प्रकाशन. p. 9. ISBN 81-8143-653-9.