पुरबी लोकगीत के एगो शैली भा किसिम हवे।

पुरबी शैली के रचना करेवाला पुरबी शैली के जनक महेन्दर मिसिर के मानल जाला। महेन्दर मिसिर जी के जनम छपरा जिला के जलालपुर प्रखण्ड के कांही मिश्रवलिया गांव में 16 मार्च, 1865 ई0 के भइल रहे । महेन्दर मिसिर जी के अईसे त बहुत खासियत बा लेकिन एगो इहो खासियत बा कि उहां के अपना पूरा जीवन में खाली आपने बनावल गीत आ रचना गइनी । 12 साल के उमिर से रचना करे लगनी, ओकरा गावे लगनी आ खुदे सब तरह के बाज भी बजावे लगनी। ओह समय के अइसन कवनो राग ना रहे जवना पर इहां के कलम ना चलल आ अइसन कवनो साज बाज ना रहे जवना के बजावे में इहां के सिद्धहस्तता ना रहे । ओह समय के जवन भी वाद्ययंत्र रहे सब के बजावे में महेन्दर मिसिर जी निपुण रहीं । महेन्दर मिसिर जी के देहावसान 26 अक्तूबर, 1946 के छपरा के उहां के आपन बनावल शिवमंदिर में -एको गहनवा नइखे सारी हो, कईसे जाईब ससुरार - भजन गावत शिवलिंग के आपना पांजा में ध के बैकुण्ठगमन कइनी । भोजपुरी के प्रथम महाकवि के रुप में भोजपुरी के प्रथम महाकव्य अपुर्व रामायण के रचना महेन्दर मिसिर जी कारागार में ही कइले रहीं जवना में एक से बढ़ के एक पुरबी गीत बा । अईसे 1920 के आस पास महेन्दर मिसिर जी के एगो किताब महेन्द्र मंगल के प्रकाशन भइल रहे चार भाग में जवना में 1000 से अधिक पुरबी गीत बा आ जवना किताब के भूमिका पं0 रामनेश त्रिपाठी जी लिखने बानी, उहे त्रिपाठी जी जेकर लिखल भजन सब लोग आजो बड़ा प्रेम से गावेला- हे प्रभु आनन्ददाता ज्ञान हमको दीजिए । महेन्दर मिसिर जी के जीवन बहुआयामी बा। महेन्दर मिसिर जी एगो महान राष्ट्रवादी भी रहनी आ ब्रिटिश सरकार के अर्थव्यवस्था तबाह कइनी आ क्रांतिकारी लोगन के बहुते बहुते आर्थिक मदद कइनी आ इहां के पकड़वा के गोपीचन्द विश्वप्रसिद्ध जासूस बन गइल। पाकल पाकल पनवा खिअवलस गोपीचनवा पीरीतीया लगाके । आ गोपीचन्द गइले रहे - नोटावा जे छापि छापि गिनिया भंजवल हो महेन्दर मिसिर, गिनिया भंजवल ओपर जग के रिझवल, खुफिया पुलिसवा देहलस फंसाय हो महेन्दर मिसिर, सगरी जहांनवां में कइल बड़ा नांव हो महेन्दर मिसिर, ब्रिटिश के कइल हलकान हो महेन्दर मिसिर । महेन्दर मिसिर जी के जीवन बहुत ही व्यापक बा । अपना जीवन में ही महेन्दर मिसिर जी काफी प्रसिद्ध हो गइल रनी। अपना जीवन में ही किंवदन्ती बन गइल रनी। आजो उहां के कथा कहानी दांतकाथा के रुप में भोजपुरी इलाका में मौजूद बा।